शमन कैंप: इधर पब्लिक को राहत, उधर भर रहा खजाना
- पिछले 5 माह में एमडीडीए ने जुटाया पैनल्टी यानि शमन शुल्क से 51 करोड़ रुपए का रेवेन्यू
- शमन कैंप से मिल रही लोगों को बड़ी राहत, अब तक 17 कैंप में 1200 नक्शों को मिली स्वीकृति
घर बैठे आवेदन की भी सुविधा
शमन कैंप में आप यदि एमडीडीए दफ्तर नहीं पहुंच सकते हैं तो आप आर्किटेक्ट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद भूमि के लैंडयूज आदि की जांच करके आपको फोन और ई-मेल के जरिए पैसा जमा करने के लिए इन्फॉरमेशन भेजेगा। जिसे ऑनलाइन ट्रांजेक्टशन के साथ ही आरटीजीएस या डीडी के माध्मय से एमडीडीए के खाते में जमा करा सकते हैं। इसके बाद तत्काल नक्शा पास हो जाएगा। खास बात यह कै कि कोई रियायत तो दूर नक्शे भी नए सर्किल रेट पर स्वीकृत किए जा रहे हैं। फिर भी लोग खुशी-खुशी नक्शे पास करा रहे हैं। जबकि ओटीएस स्कीम में पुराने सर्किल रेट पर नक्शे पास किए जाते थे।
17 कैंप अब तक लगाए गए
1200 आवासीय नक्शे किए गए स्वीकृत
130 कॉमर्शियल नक्शे हुए पास
1070 नक्शों को अब तक स्वीकृति
51 करोड़ कमाए शमन शुल्क की पैनाल्टी से ओटीएस से शमन कैंप अच्छी पहल
एमडीडीए पूर्व में वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) स्कीम चलाता था। इसमें नियम शिथिलीकरण कर नक्शे पास किए जाते थे, इसमें अपनाई जाने वाली प्रक्रिया से भी काफी लंबा वक्त लग जाता था और नक्शा पास होने की गारंटी भी नहीं थी। पिछले साल 2022 में ओटीएस स्कीम पूरी तरह बंद कर दी गई। जिसके बाद एडीडीए के पास कोई योजना नहीं थी। फरवरी वीसी बंशीधर तिवारी ने ज्वाइन करने के बाद शमन कैंप लगाने का निर्णय लिया। 4 मार्च 2023 को पहला शमन कैंप लगाया गया। उनका यह निर्णय जहां पब्लिक को बड़ी राहत पहुंचा रहा है वहीं एमडीडीए के लिए राजस्व के लिहाज से यह कैंप काफी लाभकारी सिद्ध हो रहा है।
30 नक्शों पर 3.40 करोड़ पैनल्टी वसूली
एमडीडीए में शनिवार को लगाए गए शमन कैंप में नक्शों से संबंधित करीब 40 पत्रावली आई, जिसमें से 30 पत्रावलियों से जुड़े नक्शों को स्वीकृति दी गई। इन तीस नक्शों पर शमन शुल्क के रूप में 3.40 करोड़ रुपए की पैनाल्टी वसूली गई। कैंप में वीसी बंसीधर तिवारी, सचिव मोहन सिंह बर्निया, एसई एचसीएस राणा से लेकर सभी एक्सईएन, एई, जेई और सुपरवाइजर मौजूद रहे। सभी अधिकारियों के मौजूद रहने से लोगों को हाथों-हाथ नक्शा पास कराने की सुविधा मिल रही है।
एमडीडीए से नक्शा पास कराना बहुत मुश्किल काम था। अधिकारियों के चक्कर काटने से लोग एमडीडीए जाना ही छोड़ रहे थे, लेकिन शमन कैंप में जब से नक्शों की कंपाउंडिग शुरू की गई, तब से लोगों का विश्वास बढ़ गया है। एमडीडीए वीसी का यह बहुत ही सराहनीय कदम है।
जगदीश रावत, रिटायर्ड टीचर पूर्व में ओटीएस स्कीम के जरिए नक्शे पास किए जाते थे, लेकिन उसमें नक्शे पास होने की गारंटी नहीं थी। शमन कैंप में सभी अफसरों के एक साथ मौजूद रहने से नक्शे चंद मिनट में पास हो रहे हैं। इससे लोगों को बड़ी राहत मिल रही है।
गोपाल सिंह नेगी
दून में जमीन-मकान लेना सरल है, लेकिन एमडीडीए से नक्शा स्वीकृत कराना टेढ़ी खीर है। बिना नक्शा पास के मकान बनाने पर लोगों को नोटिस पर नोटिस झेलना पड़ता है। सैकड़ों लोगों के नक्शे अलग-अलग क्वैरी में फंसे हैं, जिन्हें शमन कैंप में चुटियों में पास किया जा रहा है।
मुकेश डंडरियाल
रेखा बहुगुणा नक्शा स्वीकृत कराना कहीं भी टेढ़ी खीर नही है। लोग गलत आर्किटेक्ट के हाथों नक्शा बनावा रहे हैं, जिन्हें नियमों की जानकारी नहीं है। जानकारी के अभाव में ही तमाम नक्शे पेंडिंग पड़े हैं। शमन कैंप के माध्मय से ऐसे नक्शों को कंपाउंड कराकर स्वीकृत किया जा रहा है, ताकि पब्लिक को सुविधाओं का सामना न करना पड़े।
बंशीधर तिवारी, वीसी, एमडीडीए
dehradun@inext.co.in