स्कूली बच्चों की अब होगी पूरी सुरक्षा वैन संचालकों को दी जाएगी ट्रेनिंग
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सख्ती की तैयारी में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट
- गल्र्स स्कूल वाहनों में महिला सहायक जरूरी, ट्रेनिंग के लिए मांगी लिस्ट
हाईकोर्ट के आदेश पर तीन दिन पहले सहायक परिवहन आयुक्त ने आरटीओ प्रवर्तन को आदेश दिए थे कि दून के सभी स्कूली वाहन चालकों को एक दिन की ट्रेनिंग इंस्टीट््यूट आफ ड्राइङ्क्षवग एंड ट्रेङ्क्षनग रिसर्च (आईडीटीआर) में दिलाई जाए। इसके लिए सभी स्कूल बस व वैन चालकों का 35-35 की संख्या तय कर स्कूल के अवकाश के दिन ट्रेनिंग दी जाए। इसी को लेकर सैटरडे को स्कूल वैन संचालकों के साथ आरटीओ प्रवर्तन की मौजूदगी में बैठक हुई। बैठक में एआरटीओ प्रवर्तन राजेंद्र विराटिया व स्कूल वैन संचालक एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता भी उपस्थित रहे। आरटीओ की ओर से कहा गया है कि स्कूल वैन एसोसिएशन ट्रेनिंग दिए जाने के लिए स्कूल वैन चालकों की लिस्ट उपलब्ध कराए।
::ट्रेनिंग की खास बातें
-ट्रैफिक नियमों की दी जाएगी जानकारी
-सड़कों पर साइन बोड्र्स की जानकारी
-स्कूल बसों के आवश्यक मानक
-इमरजेंसी की स्थिति में कैसे नियंत्रण हो
-बच्चों को उतरते व चढ़ाने की सावधानियां
-प्राथमिक उपचार संबंधी जानकारियां
-बच्चों को ले जाते वक्त बरती जाने वाली सावधानियां
स्कूल वैन ड्राइवर-कंडक्टर के लिए रूल
बताया गया है कि स्कूल वैन या बस चालक को कम से कम पांच साल का भारी वाहन चलाने का एक्सपीरियंस होना चाहिए। जबकि, चालक का पुलिस वेरिफिकेशन भी जरूरी है। जिस चालक का परिवहन नियम तोडऩे पर पूर्व में दो बार चालान हुआ है तो स्कूली वाहन चलाने के लिए उनको अयोग्य माना जाएगा। इसके अलावा यदि चालक का एक बार ओवरस्पीड, खतरनाक ढंग के अलावा शराब पीकर वाहन चलाने में चालान हुआ है, तब भी ऐसे चालक पर रोक रहेगी। बिना योग्य परिचालक किसी स्कूल बस का संचालन नहीं होगा। परिचालक की योग्यता केंद्रीय मोटरयान नियमावली के अनुसार होनी अनिवार्य।
आरटीओ के अनुसार जिन वाहन का उपयोग गल्र्स को ले जाने में होता है, उसमें महिला सहायक का होना जरूरी होगा। स्कूल वाहन निर्धारित स्पीड पर ही वाहनों को चलाएंगे। इसके अलावा वाहन पर स्पीड गवर्नर भी जरूरी होगा। निर्धारित संख्या से ज्यादा स्टूडेंट्स को बस या स्कूल वैन में बैठाना कानूनन अपराध माना जाएगा। इसकी व्यवस्था वाहन संचालकों को सुनिश्चित करनी होगी। चालक चे बच्चों के नाम, पते, ब्लड ग्रुप, रूट प्लान व रुकने के प्वाइंट की पूरी जानकारी होनी जरूरी होगी। जबकि, स्कूल के वाहन में फस्र्ट एड बाक्स व फायर सेफ्टी इक्विपमेंट का होना जरूरी है।
स्कूल वाहनों के लिए मानक
-वाहन निर्धारित पीले रंग के हों।
-वाहन पर स्कूल वाहन अंकित हो।
-वाहन पर सुरक्षा के लिए ंिवंडो, ग्रिल व जाली लगी हो।
-वाहन को एक्सपीरियंस वाला चालक संचालित करे।
-वाहन पर स्पीड गवर्नर लगा होना हो सुनिश्चित।
आरटीओ प्रवर्तन शैलेश तिवारी की ओर से पैरेंट्स से अपील की गई है कि वे अपने बच्चों को स्कूल कैब से ही स्कूल भेंजे। स्कूल कैब के तौर पर वही वाहन मान्य होंगे, जिनमें पीली नंबर प्लेट होंगे। बच्चों को स्कूल भेजने के लिए किराए पर प्राइवेट वाहन यानि सफेद नंबर की प्लेट वाले वाहन का कदापि यूज न करें। आरटीओ के अनुसार इन वाहनों में सुरक्षा के मानक पूरे नहीं होते हैं। जबकि, वाहनों के पूरे कागजात भी नहीं होते हैं। ऐसे में ऐसे वाहनों से हर वक्त सुरक्षा का खतरा बना होता है। dehrdun@inext.co.in