वल्र्ड डे अंगेस्ट चाइल्ड लेबर. इस दिन का मकसद है बच्चों को चाइल्ड लेबर से बचाना और उन्हें एक बेहतर भविष्य देना. ऐसे ही चाइल्ड लेबर का मतलब है बच्चों से वो काम करवाना जो उनकी उम्र के हिसाब से सही नहीं है.

देहरादून,(ब्यूरो): वल्र्ड डे अंगेस्ट चाइल्ड लेबर। इस दिन का मकसद है बच्चों को चाइल्ड लेबर से बचाना और उन्हें एक बेहतर भविष्य देना। ऐसे ही चाइल्ड लेबर का मतलब है बच्चों से वो काम करवाना, जो उनकी उम्र के हिसाब से सही नहीं है। लेकिन, भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में अब भी लाखों बच्चे स्कूल की जगह काम करने पर मजबूर हैं। कुछ खेतों में काम कर रहे हैं, तो कुछ फैक्ट्रियों में। ये कार्य किसी चाइल्ड लेबर यानि बाल श्रम से कम नहीं है। इसको खत्म करने को लेकर सरकार, एनजीओ और आम लोग मिलकर काम कर रहे हैं। यही कारण है कि दून जिले में गत वर्ष से लेकर अब तक करीब 212 बच्चों को तमाम क्षेत्रों से रेस्क्यू किया गया।

सिर्फ आश्वासन दिया जाता है
बाल श्रम क्या है और इसका वॉयलेशन करने वालों के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई होती है। इस बारे में सब वाकिफ हैं। खासकर वल्र्ड डे अंगेस्ट चाइल्ड लेबर के मौके पर बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जाती हैं। वर्कशॉप आयोजित होती हैं। लेकिन, उसके बाद पहले जैसी स्थितियां सामने आती हैं। लेकिन, इसके बावजूद भी संबंधित विभाग व इस क्षेत्र में कार्य करने वाली गैर सरकारी संस्थाओं की चाइल्ड लेबर पर धरपकड़ की तो असलियत सामने आ ही गई। ये आंकड़े इस बात की गवाही देने के लिए काफी हैं कि अकेले दून में मार्च 2023 से लेकर 10 जून तक 212 बच्चों का चाइल्ड लेबर के मामले में रेस्क्यू किया गया। जबकि, 98 ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जो चाइल्ड लेबर में शामिल रहे।

यहां से रेस्क्यू किए बच्चे
डोईवाला -17
पटेलनगर-15
रायपुर- 15
पलटन बाजार- 11
ऋ षिकेश- 11
नेहरू कॉलोनी-9
सहसपुर-6
वसंत विहार-6
सेलाकुई-6
क्लेमेंट टाउन-5
डालनवाला-3
रानीपोखरी-3
राजपुर-3
विकासनगर-2
कालसी -1
प्रेमनगर-1

बेखौफ चल रहा चाइल्ड लेबर
दून में आंकड़ों पर गौर करें तो सिटी के आउटर इलाकों के साथ ही शहर के बीचोंबीच भी चाइल्ड लेबर के मामले कम नहीं आए। इसमें डालनवाला, पटेलनगर, वसंत विहार, राजपुर, पलटन बाजार, क्लेमेंट टाउन, प्रेमनगर जैसे इलाके शामिल रहे हैं। जबकि, दून के आउटर इलाकों की बात की जाए तो विकासनगर, डोईवाला, कालसी, ऋषिकेश पीछे नहीं रहे हैं। जबकि, शहर में संबंधित विभाग व गैर सरकारी संस्थाओं की टीमें मौजूद हैं। कभी भी छापेमारी की कार्रवाई हो सकती है, इसके बावजूद चाइल्ड लेबर का काम करवाने वाले प्रतिष्ठानों और उनके मालिकों में कानून को कोई डर व भय नहीं है। इस क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं के दावे हैं कि रेस्क्यू किए गए करीब 80 परसेंट बच्चों को स्कूल भेजा जा चुका है।

चाइल्ड लेबर के खिलाफ काम करने वाली संस्थाएं
-चाइल्ड लाइन
-समर्पण सोसाइटी
-आसरा ट्रस्ट
-एमएटी एनजीओ

इन प्रतिष्ठानों के खिलाफ एक्शन
कानून कोई भी दुकान, होटल और दूसरे व्यापारिक प्रतिष्ठान, फर्म चाइल्ड लेबर करवाते पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाती है। यहां तक बालक और किशोर श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है। लेकिनर, इसके बावजूद ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं।

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Posted By: Inextlive