Dehradun News: काठबंगला में अतिक्रमण कर बने मकानों पर दोबारा लगेंगे लाल निशान
देहरादून (ब्यूरो) एक ओर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा रही है। वहीं दूसरी ओर नगर निगम अभिलेख एमडीडीए को भेज रहा है। सवाल यह है कि पूर्व में संयुक्त टीम ने 79 कब्जे नगर निगम और 412 कब्जे एमडीडीए की स्वामित्व वाली जमीन पर चिन्हित किए। परीक्षण के बाद अवैध निर्माण को तोडऩे की कार्रवाई शुरू की गई। इसके लिए पुलिस फोर्स मंगाई गई। दो दिन चला अभियान तीसरे दिन थम गया। अभियान थमते ही नगर निगम ने एक दिन 200 लोगों के दस्तावेज एमडीडीए को भेजे कि उपलब्ध कराए गए अभिलेखों के अनुसार इनका दावा सही प्रतीत होता है। इस पर गौर करें। ऐसे में एमडीडीए के सामने संकट खड़ा हो गया है।
फिजिकल वेरिफिकेशन शुरू
नगर निगम से अभिलेख उपलब्ध होने के बाद एमडीडीए ने ध्वस्तीकरण से पूर्व एक बार फिर उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों का सत्यापन का काम शुरू कर दिया है। दो-तीन दिन के भीतर कागजों का सत्यापन पूरा करने की बात की जा रही है। सत्यापन में दस्तावेज गलत पाए जाने पर मौके पर लाल निशान लगाए जाएंगे। इसके बाद अगले सप्ताह से ध्वस्तीकरण को अभियान चलाए जाने की बात की जा रही है।
2016 के बाद बने मकान टूटेंगे
एनजीटी के आदेश पर वर्ष 2016 के बाद रिस्पना नदी के किनारे नगर निगम और एमडीडीए की जमीन पर कब्जा कर बनाए गए मकान ध्वस्त किए जाएंगे। 2016 तक के अवैध निर्माण को पूर्व हाईकोर्ट ने वैध ठहराया है। इससे हजारों लोगों को राहत मिली है। 2016 के बाद बने पक्के मकानों को बिजली, पानी और अन्य दस्तावेजों के आधार पर चिन्हित किया जा रहा है। 2016 के बाद के दस्तावेज होने पर उन्हें अवैध करार दिया जा रहा है।
अतिक्रमण को ध्वस्त करने के लिए नगर निगम ने रिस्पना नदी किनारे काठबंगला बस्ती से लेकर मोथरोवाला के बीच के 13 किमी। एरिया पर 27 स्लम बस्तियों का सर्वे किया। इनमें वर्ष 2016 के बाद 524 अतिक्रमण पाए गए। 89 अतिक्रमण नगर निगम की भूमि पर जबकि 12 नगर पालिका मसूरी और 11 राजस्व भूमि पर पाए गए। दूसरी तरफ नगर निगम के नियंत्रण में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए जिस भूमि को एमडीडीए के नियंत्रण में दिया गया था, उस पर 414 से अधिक अतिक्रमण होने की बात सामने आई है। निगम ने आपत्तियों की सुनवाई के बाद 79 अतिक्रमण ध्वस्त किए जाने योग्य पाया। अब तक 60 कब्जे हटाए गए।
दस्तावेज लेकर एमडीडीए पहुंच रहे
एमडीडीए ने नोटिस जारी कर 30 जून तक अपने अवैध निर्माण खुद हटाने को कहा था। इसके बाद अवैध निर्माण तोडऩे पर इसमें आए खर्चे की वसूली संबंधित लोगों से करने का ऐलान किया था। नोटिस तामील होने के चलते संबंधित लोग अपने अपने क्षेत्रों के स्थानीय नेताओं से संपर्क साध रहे हैं। जबकि कुछ लोग अभिलेख लेकर एमडीडीए पहुंच रहे हैं।
रिस्पना ही नहीं बिंदाल नदी के किनारे भी बड़ी संख्या में नगर निगम की जमीन पर अवैध कब्जे हैं। इस पर किसी का ध्यान नहीं है। बिंदाल नदी के किनारे भी बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स का निर्माण किया गया है। केवल रिस्पना पर ही फोकस है। हालांकि नगर निगम के अफसरों ने बताया कि दूसरे फेज में बिंदाल नदी से भी अतिक्रमण चिन्हित कर हटाया जाएगा।
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