हर बार स्कूल बस व वैन में बच्चों की सुरक्षा को लेकर विभागों की लापरवाही का खामियाजा आखिरकार बच्चों को ही भुगतना पड़ता है। कई बार हादसे या वारदात होने के बाद प्रशासन एक्टिव तो होता है। लेकिन कुछ दिन बाद स्थिति जस की तस हो जाती है। मंगलवार को एक छात्रा के साथ स्कूल वैन ड्राइवर ने छेड़छाड़ कर दी। मामला सामने आया तो अब एक बार फिर सिस्टम एक्टिव हुआ है।

देहरादून (ब्यूरो) स्कूल वैन एसोसिएशन के मुताबिक दून में 1200 से ज्यादा स्कूल वैन चल रही हैैं, लेकिन इनमें से रजिस्ट्रेशन केवल 650 वैन का ही है। हालांकि, आरटीओ ऑफिस के आंकड़े इससे अलग हैैं, इन आंकड़ों के मुताबिक दून में रजिस्टर्ड वैन 850 हैैं। अब सही आंकड़ा किसे माना जाए ये एक सवाल है, दूसरा सवाल यह है कि बाकी वाहन क्या बिना रजिस्ट्रेशन दौड़ सकते हैैं, इन पर क्यों एक्शन नहीं लिया जा रहा। मासूमों की सुरक्षा को लेकर परिवहन विभाग की ओर से 2022 में एक गाइडलाइन बनाई गई थी, जिसके तरह स्कूल संचालकों को स्कूल वैन और बसों के स्टाफ का वेरिफिकेशन कराना अनिवार्य होगा। इसके अलावा स्कूल व्हीकल के लिए कुछ मानक भी फिक्स किए गए हैैं, जिनका पालन हर हाल में करना होगा। यह भी तय किया गया था कि जिस स्कूल व्हीकल में गर्ल स्टूडेंट्स चलती हैैं, उनमें महिला स्टाफ का होना जरूरी है और उनके लिए सैपरेट सीटिंग भी करनी होगी। लेकिन, इन मानकों को लेकर भी लगातार लापरवाही बरती जा रही है।

अब होगा वेरिफिकेशन
पटेलनगर एरिया में स्कूल वैन में ड्राइवर द्वारा छात्रा के साथ लगातार छेड़छाड़ का मामला जब सामने आयो तो आरटीओ, शैलेश तिवारी ने बैठक कर कई बिन्दुओं पर चर्चा की। जिसमें स्कूली बच्चों के साथ किस प्रकार व्यवहार किया जाना चाहिए, आरटीओ ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूल वाहन के चालकों का वेरिफिकेशन कराने की बात कही। पुलिस की ओर से हर स्कूल व्हीकल के ड्राइवर का वेरिफिकेशन किए जाएगा, जिसमें चालक के लाइसेंस व आधार कार्ड की भी जांच की जाएगी।

जारी की गाइडलाइन
-स्कूल वाहन में ड्राइवर केबिन में स्टूडेंट को न बैठाया जाए।
- यदि वाहन में सभी छात्राएं हों तो ड्राइवर केबिन और छात्राओं की सीट्स के बीच पार्टिशन किया जाए।
-स्कूल वाहन के बाहर व्हीकल ओनर व ड्राइवर का नाम व मोबाइल नंबर अंकित हो।
-वाहन में सभी स्टूडेंट्स के नाम, गार्जियन का नाम, पता व मोबाइल नंबर की लिस्ट रखी जाए।
-छात्र-छात्राओं के अभिभावक, चालक व वाहन स्वामी का एक व्हाट्सएप गु्रप बनाया जाए।
-वाहन स्वामी बार-बार चालक न बदले।
-अपने स्तर से भी चालक का आवश्यक सत्यापन करा लिया जाए।
-चालक के आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस की प्रति अपने पास रखी जाए।
-स्टूडेंट की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूली वाहनों के चालकों के लिए अक्टूबर में एक ट्रेनिंग, काउंसलिंग वर्कशॉप की जाएगी।
-चालकों को सुरक्षा नियमों, बाल मनोविज्ञान, बच्चों के साथ उचित व्यवहार व संवाद, गुड टच-बैड टच के बारे में विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी जाएगी।

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Posted By: Inextlive