राजधानी दून के एक-दो नहीं बल्कि कमोबेश सभी इलाके तारों के जाल से जूझ रहे हैं. पब्लिक तारों से लटके पड़े बिजली के खंभों से तारों का जाल हटाने की लगातार मांग उठाती आ रही है लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

- दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के वेबिनार में खुलकर बोले लोग
- कहा, बिजली खंभों पर केबल्स को लेकर उठाए जाएं सख्त कदम

देहरादून (ब्यूरो): झूलती तारें जहां दुर्घटनाओं का सबब बन रही हैं। तारों के जाल को लेकर वेडनसडे को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने वेबिनार आयोजित किया गया, जिसमें लोगों ने खुलकर ही नहीं बोला, बल्कि शासन-प्रशासन को कोर्ट जाने के लिए भी चेताया।

पैनल्टी को बने सख्त नियम
वेबिनार में एकमत होकर सभी पार्टिसिपेेंट ने कहा कि बिजली के खंभों पर केबल्स को लेकर सख्त कदम उठाए जाएं। इसको लेकर बड़ी पैनल्टी का प्रावधान बनाया जाए, ताकि इलीगल और गलत तरीके से केबल्स लगाने वाले ऐसा करने की जहमत न उठा सकें। पैनलिस्टों ने कहा कि यदि आरओडब्ल्यू पॉलिसी के तहत ऊर्जा निगम परमिशन दे रहा है, तो उसमें पैनल्टी के प्रावधान को भी इम्लीमेंट किया जाए।

अंडरग्राउंड हो केबल्स
कई पैनलिस्ट ने कहा कि तारों से भरे पड़े खंभों से हटाकर तारें अंडरग्राउंड होनी चाहिए। इसके लिए सरकार को योजना बनानी चाहिए। कहा कि केबल्स लगाने का विरोध नहीं है, लेकिन केबल्स तरीके और मानकों के अनुरूप लगाई जाए। केबल्स लगाने के दौरान इस सुनिश्चित किया जाए कि सुविधा के बजाय पब्लिक को समस्या न दी जाए।

फील्ड अधिकारियों को नहीं कोई जानकारियां
पैनलिस्टों का कहना था कि केबल्स को ऊर्जा निगम मुख्यालय से परमिशन दी जाती है। फील्ड अधिकारियों को एग्रीमेंट की कॉपी नहीं दी जाती, जिससे उन्हें कोई पता नहीं रहता है। मुख्यालय स्तर से एग्रीमेंट की एक कॉपी डिवीजन और सब डिवीजनों में भेजी जाए, ताकि ये सारे बातें उनके संज्ञान में रहे।

ये है नुकसान
-बंच केबल्स पर आग लगने का है ज्यादा खतरा
-पक्षियों द्वारा घोंसला बनाए जाने से शॉर्ट सर्किट होने की संभावनाएं
-अधिक भार से झुक रहे पोल से हो सकता है कभी भी बड़ा हादसा
-सड़क पर लटकती केबल्स से आए दिन दोपहिया वाहन हो रहे हादसे का शिकार
-इलीगल केबल्स के विरुद्ध सख्त कार्रवाई न होने से कंपनियों की पौ बारह
-परमिशन के बाद मानकों के अनुरूप केबल्स को लेकर इंस्पेक्शन न किए जाने से ज्यादा दुश्वारियां

बिजली के पोलों पर तारों का मक्कडज़ाल से पब्लिक परेशान है। प्रशासन चैन की नींद सो रहा और ऊर्जा निगम लापरवाह। इसको लेकर जल्द मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज की जाएगी।
वीरू बिष्ट, महासचिव पर्वतीय कल्याण समिति

बंच केबल में आग लगने का खतरा ज्यादा है। इसलिए पोल पर तारों का जाल खतरनाक है। इस पर ऊर्जा निगम सख्ती से कार्रवाई करे। पब्लिक से अपील है कि समाधान न होने तक हर मंच पर लगातार समस्या को पुरजोर तरीके से उठाते रहें।
निशा गुप्ता, सोशल एक्टिविस्ट,

कम होने के बजाय बिजली खंभों पर तारों का जाल बढ़ता जा रहा है। जिस तेजी के साथ पोल तारों से मोटा होता जा रहा है ऊर्जा निगम उसी गति से लापरवाह बनता जाता है, जो बेहद चिंताजनक बात है।
प्रमोद कपरुवाण, केंद्रीय अध्यक्ष, देवभूमि महासभा

वायर नट से हो रही दुर्घटनाओं को लेकर ऊर्जा निगम से लेकर हर संबंधित विभाग के सामने रखा, लेकिन आज तक समाधान नहीं हुआ। सिस्टम सोया है। पब्लिक को एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन के जरिए अपनी आवाज सक्षम और जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुंचानी होगी।
यशवीर आर्य, जागरूक बनो, आवाज उठाओ संस्था के संयोजक

पोल पर जब केबल्स को ऊर्जा निगम परमिशन दे रहा है तो पहला दायित्व ऊर्जा निगम का ही कार्रवाई का बनता है। यदि निगम कार्रवाई नहीं करता है, तो इसके खिलाफ पब्लिक को आंदोलन भी करना पड़े, तो वह पीछे नहीं हटेंगे।
विनोद जोशी, सोशल एक्टिविस्ट

यह बात सही है कि बिजली के पोल तमाम कंपनियों के तारों से भरे पड़े हैं। पॉलिसी में कार्रवाई को लेकर स्पष्ट गाइड लाइन नहीं है। फिर भी इस संबंध में फील्ड अधिकारियों के आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। इंफोर्समेंट को लेकर इस बावत शासन-प्रशासन से भी बातचीत की जाएगी।
मदन राम आर्य, मुख्य अभियंता, गढ़वाल क्षेत्र, ऊर्जा निगम
dehradun@inext.co.in

Posted By: Inextlive