योग को विश्व की विचारधारा के लोगों ने अपनायाः राष्ट्रपति
देहरादून (ब्यूरो)। छात्र-छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हरिद्वार का भारतीय परंपरा में विशेष महत्व है। यहां श्रीविष्णु और महादेव, दोनों का वास है। इसलिए यहां रहना और शिक्षा ग्रहण करना सौभाग्य की बात है। उन्होंने उम्मीद जताई कि छात्र-छात्राएं आलस्य ओर प्रमाद को त्यागकर योग परंपरा में उल्लिखित अन्नमय कोश, मनोमय कोश और प्राणमय कोश की शुचिता के लिए सचेत रहेंगे। विज्ञानमय कोश और आनंदमय कोश तक की आंतरिक यात्रा पूरी करने की महत्वाकांक्षा के साथ आगे बढ़ेंगे। साथ ही करुणा और सेवा के आदर्शों को आचरण में ढालकर समाज की सेवा को जीवन का ध्येय बनाएंगे। इसका उदाहरण देशवासियों ने कोरोना का सामना करते हुए भी प्रस्तुत किए।
वैक्सीनेशन में पेश किया उदाहरण
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि भारत उन चुनिंदा देश में शामिल है, जिन्होंने न सिर्फ कोरोना के मरीजों की प्रभावी देखभाल की, बल्कि इस बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन का भी उत्पादन किया। भारत में विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है। कहा कि सृष्टि के साथ सामंजस्यपूर्ण जुड़ाव ही आयुर्वेद और योग शास्त्र का लक्ष्य है। इस सामंजस्य के लिए यह भी जरूरी है कि हम सभी प्रकृति के अनुरूप जीवन शैली को अपनाएं और प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन न करें।
आज देसंविवि और शांतिकुंज में राष्ट्रपति
दो दिवसीय हरिद्वार दौरे के दूसरे दिन सोमवार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द अखिल विश्व गायत्री परिवार के मुख्यालय में स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर शांतिकुंज और देव संस्कृति विश्वविद्यालय (देसंविवि) पहुंचेंगे। देव संस्कृति विश्वविद्यालय पहुंचने पर कुलाधिपति डॉ। प्रणव पंड्या, प्रतिकुलपति डॉ। चिन्मय पंड्या और कुलपति शरद पारधी राष्ट्रपति का स्वागत करेंगे।