लघु सिंचाई की जमीन से हटा कब्जा
- करोड़ों की जमीन कब्जाने को लेकर एक पूर्व चीफ इंजीनियर मोहम्मद उमर की भूमिका संदिग्ध
देहरादून, ब्यूरो: लघु सिंचाई विभाग के नत्थनपुर स्थित मुख्यालय की जमीन को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद खत्म हो गया है। पुलिस की मौजूदगी में जमीन को कब्जामुक्त किया गया। गुरुवार को कब्जेधारी का गेट तोड़कर दीवार खड़ी करके जमीन को विभागीय अधिकारियों ने अपने पजेशन में लिया। कब्जामुक्त कराई गई जमीन की कीमत करीब डेढ़ करोड़ बताई जा रही है।चीफ इंजीनियर की भूमिका संदिग्ध
तब विभाग के चीफ इंजीनियर मोहम्मद उमर थे। इसमें स्टाफ क्वार्टर भी बनाए गए हैं। ऑफिस का निर्माण कंप्लीट होने के बाद चारों ओर बाउंड्री कर दी गई। उस समय जमीन को लेकर खेल किया गया। विभाग की ओर से कुछ जमीन छोड़ कर बाकी पर बाउंड्री वॉल कर दी। कुछ समय बाद जमीन कम होने की बात सामने आने पर इसकी विभिन्न स्तर पर शिकायत की गई। शिकायत के बाद आवंटित भूमि की पैमाइश की गई, तो जमीन कम पाई गई, लेकिन तत्कालीन चीफ इंजीनियर मोहम्मद उमर ने इस पर एक्शन लेने के बजाय मामले को दबाते रहे। उनके रिटायर होने के बाद तीन महीने की कार्रवाई में ही जमीन कब्जामुक्त हो गई।
निर्मला देवी का था जमीन पर कब्जा
अठूरावला भानियावाला निवासी निर्मला देवी पत्नी गजेंद्र सिंह रावत के द्वारा लघु सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जा होना बताया गया। विभाग को आवंटित जमीन का खसरा नंबर 206 है, लेकिन कब्जेधारी का खसरा नंबर 205 है। इसके बावजूद जमीन पर अपना हक जमाकर कई वर्षों से अवैध तरीके से कब्जा किया गया था।
बृजेश कुमारतिवारी, चीफ इंजीनियर, लघु सिंचाई विभाग, उत्तराखंड