- तमाम दावों के बाद भी पर्वतीय इलाकों में डॉक्टर्स की भारी कमी

- एसडीसी ने स्टेट ऑफ स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स इन उत्तराखंड 2021 का तीसरा और अंतिम भाग जारी किया

देहरादून,

उत्तराखंड सरकार पिछले कई सालों से लगातार देहरादून और राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टर्स की नियुक्ति करने का दावा करती रही है, लेकिन वास्तव में स्थिति में अब भी कोई खास सुधार नहीं हुआ है। राज्य में हेल्थ सर्विसेज पर लगातार काम करने वाले एसडीसी फाउंडेशन ने राज्य में डॉक्टर्स की उपलब्धता पर एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 10 तरह स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स के स्वीकृत पदों में से केवल 50 परसेंट पर ही नियुक्तियां की गई हैं।

25 की जगह केवल 1 फॉरेंसिक स्पेशलिस्ट

अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 25 डॉक्टरों के स्वीकृत पदों में से केवल एक फॉरेंसिक विशेषज्ञ उपलब्ध है। इसके अलावा स्किन के 25 डॉक्टरों के स्वीकृत पदों में से 4 साइकेट्रिस्ट के मंजूरशुदा 28 पदों में से 4 की नियुक्तियां की गई हैं। राज्य में कुल मिलाकर विशेषज्ञ डॉक्टरों के 1147 स्वीकृत पदों में से 493 पदों पर ही नियुक्तियां की गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार आरटीआई में मिली सूचना के अनुसार 30 अप्रैल, 2021 तक राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 654 पद खाली हैं।

नियुक्ति में भी असंतुलन

रिपोर्ट बताती है कि जिलों के बीच विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति में भी बड़ा असंतुलन है। उदाहरण के लिए, चम्पावत में आई सर्जन के तीन स्वीकृत पदों में से एक पर भी नियुक्ति नहीं की गई है, जबकि देहरादून छह स्वीकृत पदों के मुकाबले 11 आई सर्जन कार्यरत हैं।

आईपीएचएस के ढांचे में विचार की जरूरत

एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल कहते हैं कि इस अध्ययन के बाद हम यह कहने की स्थिति में हैं कि राज्य में हेल्थ कर्मचारियों के वितरण से संबंधित आईपीएचएस ढांचे पर फिर से विचार करने की जरूरत है। अध्ययन से स्पष्ट है कि मैदानी जिलों की तुलना में पर्वतीय जिलों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता बहुत कम है। हमें विशेषज्ञ डॉक्टरों को सभी जिलों में समान रूप से वितरित करने की रणनीति पर काम करने की जरूरत है।

बाल रोग विशेषज्ञ भी कम

अनूप नौटियाल के अनुसार पर्वतीय जिले बाल रोग विशेषज्ञों की भारी कमी से भी जूझ रहे हैं। पौड़ी में 22 में से 5, अल्मोड़ा में 18 में से 4, पिथौरागढ़ में 8 में से 2, चमोली में 8 में से 1 और टिहरी में 14 में से 1 बाल विशेषज्ञ उपलब्ध हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञों के बात करें तो बागेश्वर में 5 में से 1, पौड़ी में 22 में से 4, टिहरी में 15 में से 2 और चमोली में 9 में से 1 स्त्री रोग विशेषज्ञ उपलब्ध है। चमोली और चंपावत जिलें में एक भी सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ नहीं है, जबकि पौड़ी में स्वीकृत 14 पदों के मुकाबले केवल 1 सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैं।

बुनियादी ढांचा मजबूत हो

एसडीसी फाउंडेशन के रिसर्च एंड कम्युनिकेशंस हेड ऋषभ श्रीवास्तव कहते हैं कि राज्य के पर्वतीय जिलों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचे की भी भारी कमी है। राजनीतिक नेतृत्व और नौकरशाहों को इस तरफ ध्यान देने में बेहद जरूरत है।

एक फॉरेंसिक व 4 स्किन स्पेशलिस्ट

आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड राज्य में केवल एक फारेंसिक विशेषज्ञ देहरादून में उपलब्ध है, जबकि 25 पद राज्यभर में स्वीकृत हैं। देहरादून के अलावा राज्य के किसी भी जिले में फॉरेंसिक स्पेशलिस्ट नहीं है। इसी तरह राज्य में स्किन स्पेशलिस्ट के 32 पद स्वीकृत हैं, लेकिन सिर्फ 4 की ही नियुक्ति की गई है।

Posted By: Inextlive