शीशा नहीं सलामत, सीलन बिगाड़ रही सेहत
देहरादून (ब्यूरो)। कोरोना संक्रमण के दौरान दून हॉस्पिटल में पिक्कू, निक्कू व पीडिया वार्ड की संख्या बढ़ाई गई। लेकिन इन वार्ड में व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया जा सका। दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में पीडिया वार्ड की छत पर जगह-जगह सीलन है। जबकि यहां नई ओपीडी बनाई गई थी। सीलन होने के कारण यहां भर्ती बच्चों को इन्फेक्शन का खतरा है। डॉक्टर के अनुसार बच्चों के वार्ड में सीलन होना ठीक नहीं है।
बिना शीशे की खिड़की से बुरा हालदून हॉस्पिटल, महिला विंग के सर्जिकल -2 की खिड़की का शीशा टूटा होने के कारण यहां भर्ती पेशेंट को सर्दी के ठिठुरन में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। जबकि यहां भर्ती उषा ने बताया कि ठिठुरन के कारण रात भर हीटर के पास रहकर रात काटनी पड़ती है।
जुकाम-खांसी की दिक्कत जारी
हॉस्पिटल में भर्ती पेशेंट को सर्दी में वार्ड का शीशा टूटा होने के कारण उन्हें सर्दी, खांसी व जुकाम की परेशानी को बढ़ा रही है। जिससे वह दूसरी बीमारी को भी साथ लेकर जा रहे हैैं।
प्रेमनगर सीएचसी का भी बुरा हाल
दून हॉस्पिटल के अलावा प्रेमनगर सीएचसी के वार्ड की खिड़की का शीशा टूटा होने के कारण यहां पेशेंट के लिए परेशानी है। सर्दी में वार्ड का शीशा टूटा होने के कारण यहां वार्ड में भर्ती पेशेंट को ठिठुरन में रहने को मजबूर होना पड़ रहा। हॉस्पिटल में भर्ती विनिता ग्रोवर ने बताया कि वह रात भर जब ठंड से सिकुड़ती रही तो उन्होंने शीशे में गत्ता लगवाया। ताकि ठंडी हवा अंदर न आए।
प्रेमनगर हॉस्पिटल में एक महिला डॉक्टर के भरोसे संचालन हो रहा है। जबकि हॉस्पिटल में तीन महिला डॉक्टर की डिमांड भेजी गई थी। लेकिन, डिमांड भेजे जाने के बाद भी अब तक यहां महिला डॉक्टर की भरपाई नहीं हो पाई है। इसके अलावा यहां एक डॉक्टर मेडिकल छुट्टी पर चल रही है ऐसे में पेशेंट को प्राइवेट हॉस्पिटल की ओर रुख करना पड़ रहा है। कोरोनेशन हॉस्पिटल में नहीं सुधरी व्यवस्था
कोरोनेशन हॉस्पिटल में बच्चा वार्ड में रूम हीटर न होने के कारण परिजनों को परेशानी उठानी पड़ रही है। वार्ड में कई जगह सीलन के कारण बच्चों को बीमारी का भी खतरा बना हुआ है।
कोरोनेशन हॉस्पिटल की लिफ्ट खराब
कोरोनेशन हॉस्पिटल की लिफ्ट बीते दो साल से खराब है। हॉस्पिटल मैनेजमेंट के अनुसार कोरोना संक्रमण के चलते हॉस्पिटल की लिफ्ट को कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया गया था। तब से लेकर अब तक कोरोनेशन हॉस्पिटल में पेशेंट को सीढ़ियों के सहारे ऊपर चढ़ना पड़ता है।
गांधी शताब्दी हॉस्पिटल में आईसीयू वार्ड तो बना दिया गया। लेकिन, संचालन शुरू नहीं हो पाया। हॉस्पिटल में मौजूद महिला पेशेंट ने बताया कि आईसीयू की जरूरत पड़ने पर प्राइवेट हॉस्पिटल भेजा जा रहा है।