लीक से हटकर पुलिस ने इस बार भीख मांगने वाले बच्चों को इस पेशे से मुक्त करके उनका पालन-पोषण करने शिक्षा देने और उन्हें सम्मानजनक जिन्दगी जीने योग्य बनाने का अभियान अपने हाथ में लिया है। इसे ऑपरेशन मुक्ति नाम दिया गया है और इस मिशन की थीम है भिक्षा नहीं शिक्षा दो और सपोर्ट टू एजुकेट ए चाइल्ड। इस मिशन को पूरा करने के लिए पुलिस को मदद की दरकार है और सक्षम लोगों से पुलिस ने इस अभियान में मदद करने की अपील की है।

देहरादून (ब्यूरो)। डीजीपी ने यहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भिक्षावृत्ति को कुछ लोगों ने इनकम का जरिया बना लिया है। ये लोग बच्चे पैदा कर उनसे उनका बचपन छीन कर उन्हें भीख मांगने के लिये सड़कों पर छोड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि जब भी हम किसी बच्चे को भीख देते हैं तो हम उसे दया का पात्र बनाते हुए अनजाने में जिन्दगी भर के लिये भिखारी बना देते हैं। इससे उन्हें भीख मांगने की आदत पड़ जाती है। समाज के जिम्मेदार नागरिक के रूप में सभी को यह समझना होगा कि समाज में सम्मान के साथ जीने के लिए भिक्षा नहीं शिक्षा की जरूरत है।

शिक्षा की जिम्मेदारी लें
उन्होंने कहा कि पुलिस ऐसे बच्चों कें भीख मांगने के पेशे से मुक्त कर उन्हें शिक्षा दिलाना चाहती है। यदि हम उनके लिये कुछ अच्छा करना चाहते हैं तो उन्हें भिक्षा न देकर उनके बेहतर भविष्य के लिये उन्हें अच्छे स्कूल में दाखिल कर उन्हें शिक्षा दिलायें, उन्हें गोद लेते हुए उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी लें, जिससे कि बड़े होकर वह अपने पैरों पर खड़े होकर एक सम्मानजनक जिन्दगी जी सकें।

4091 बच्चे चिन्हित
ऑपरेशन मुक्ति के तहत राज्यभर में अब तक 4091 बच्चे चिन्हित किये गये हैं। इनमें से 1430 बच्चों का विभिन्न स्कूल्स या डे केयर होम में एडमिशन करवाया गया। पुलिस के अनुसार आमतौर पर ऐसे बच्चे स्कूल जाने को तैयार नहीं होते। किसी तरह स्कूल में एडमिशन करवा भी दें तो उनके पेरेंट्स उन्हें स्कूल से निकालकर वापस भीख मांगने के काम में लगाते हैं, क्योंकि उनके पास भी रोजी-रोटी का साधन नहीं है। ऐसे में इन बच्चों के परेंट्स के लिए काम तलाशना भी एक चुनौती है। पुलिस ने नागरिकों को स्वयं सेवी संस्थाओं से इस मामले में भी मदद की अपील की है।
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Posted By: Inextlive