घर दिला दिया, थैंक्यू मोदी जी
देहरादून (ब्यूरो)। दून में योजना के 4 लाभार्थियों को सोशल ऑडिट का हिस्सा बनाया गया। इन लाभार्थियों ने पीएम आवास के तहत मिले घर को लेकर अपने अनुभव साझा किये। इन परिवारों का कहना है कि वे मजदूरी करके गुजारा करते हैं। इतना पैसा नहीं कमा पाते कि घर बनाते। ऐसे में वे कच्ची झोपड़ी बनाकर रहते थे। एक घर का सपना था, लेकिन बिना पैसे के सपना कैसे साकार होता। प्रधानमंत्री आवास योजना ने उनका यह सपना पूरा कर दिया है।
सपना पूरा होने जैसा
लाभार्थी मारखग्रांट गांव की निवासी प्रेमवती देवी ने बताया कि पिछले साल प्रधान ने उन्हें बताया कि उनका प्रधानमंत्री आवास योजना में घर मंजूर हो गया है। कुछ दिन बाद ग्राम विकास अधिकारी आये। उन्होंने घर का फोटो लिया। आधार कार्ड और बैंक पासबुक की फोटो स्टेट कॉपी मांगी। एक हफ्ते बाद उनके खाते में 60 हजार रुपये आ गये। पैसे आते ही मकान का काम शुरू कर दिया। अब लेंटर डालना बाकी था। लेकिन, पैसे खत्म हो गये थे। इसी दौरान एक बार फिर ग्राम विकास अधिकारी ने आकर अधूरे बने मकान का फोटो लिया। एक हफ्ते बाद और 40 हजार रुपये खाते में आ गये। मकान का काम पूरा होने के बाद 30 हजार रुपये की एक और किश्त मिली।
घर के सामान के लिए 5 हजार मिले
एक अन्य लाभार्थी सुमन देवी ने बताया कि घर बन जाने के बाद उन्हें 5 हजार रुपये और मिले। बताया गया कि यह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत मिली है। जिससे घर के लिए जरूरी चीजें खरीद सकें। बताया गया कि इस अमाउंट से लाभार्थियों ने अपने घरों में रंग रोगन करने के लिए अलावा वह जरूरी सामान भी खरीदा, जो उनके घर में नहीं था।
प्रशासन का दावा है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों का शौचालय सहित घर बनने के बाद उन्हें एक साल में 95 दिन मनरेगा के तहत काम भी दिया जा रहा है। 95 दिन के काम के बदले उन्हें 20235 रुपये दिये जा रहे हैं। जिला प्रशासन का कहना है कि जो परिवार इस योजना के तहत आवास पाने के पात्र हैं वे ग्राम प्रधान के माध्यम से आवेदन कर अपना घर बना सकते हैं।