जमीन में पानी की नब्ज टटोलेगा पीजोमीटर
- लगातार गिर रहे ग्राउंड वाटर लेवल की होगी मॉनिटरिंग
- उत्तराखंड में 121 स्थानों पर लगाए जाएंगे पीजोमीटर
देहरादून, ब्यूरो: उत्तराखंड में जल्द ही भूजल की निगरानी के लिए पीजोमीटर लगाए जाएंगे। ये पीजोमीटर भूजल में तेजी से आ रही गिरावट को आइडेंटिफाई करेगा। ये पीजोमीटर पूरी तरह डिजिटल होंगे, जो जमीन के भीतर वाटर लेवल में हो रहे चेंज को रिकॉर्ड करेंगे। केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने पूरे देश में पीजोमीटर लगाने का निर्णय लिया है। इसी के तहत उत्तराखंड में पहले फेज में पीजोमीटर लगाने के लिए ऐसे 121 स्थान चिन्हित किए हैं। इन इलाकों में जल स्तर काफी नीचे चला गया है। भूजल स्तर के उतार-चढ़ाव के बारे में बेहतर जानकारी के लिए देश भर के इंडस्ट्रियल क्लस्टर को योजना में शामिल किया गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना और अटल भूजल योजना के तहत अतिरिक्त पीजोमीटर भी सीजीडब्ल्यूबी ने प्र्रस्तावित किए हैं।
एनडब्ल्यूआईसी में कंपाइल होगा रिकॉर्डबताया गया कि पीजोमीटर की जानकारी स्वचालित रूप से केंद्रीय सर्वर पर प्रसारित की जाएगी। जिसके माध्यम से यह राज्यों के उपलब्ध होगी। राज्य क्षेत्रों में इन पीजोमीटर्स के निर्माण के लिए सीजीडब्ल्यूबी द्वारा डिजाइन के साथ ही स्थानों की पहचान की गई है।
उत्तराखंड में लगेंगे 121 पीजोमीटर
उत्तराखंड राज्य में भूजल प्रबंधन, विनियमन योजना और राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत 121 निगरानी कुओं (पीजोमीटर) का प्रस्ताव तैयार किया गया है। शासन के आदेश के बाद पीजोमीटर की स्थापना के लिए सिंचाई विभाग ने नोडिल ऑफिसर का चयन किया है। प्रमुख अभियंता मुकेश मोहन ने विभाग के मुख्य अभियंता (यांत्रिक) डीसी सनवाल को नोडल अधिकारी बनाकर नाम शासन को भेज दिया है।
पहले भी ग्राउंड वाटर की निगरानी मैन्युअली होता थी। साल भर में चार बार रिड्यूज और रिचार्जिंग की मॉनिटरिंग की जाती थी। लेकिन अब मशीन से निगरानी रखी जाएगी। ये निगरानी डेटाबेस पर होगी। 4 सेमि क्रिटिकल जोन आइडेंटिफाई
ग्राउंड वाटर के मामले में हरिद्वार जिले के बहादराबाद और भगवानपुर के अलावा हल्द्वानी और काशीपुर सेमी क्रिटिकल जोन में चिन्हित हैं। इन जगहों पर पानी का स्तर लगातार घट रहा है। इसकी वजह इन स्थानों पर औद्योगिक संस्थान होना बताया जा रहा है।
देशभर में लगेंगे 9000 पीजोमीटर
देशभर में भूजल का स्तर तेजी से गिर रहा है। जबकि पानी की मांग उतनी ही बढ़ रही है। उत्तराखंड में लगभग 72 प्रतिशत वनक्षेत्र होने के बावजूद ग्राउंड वाटर में कमी आ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार सीजीडब्ल्यूबी वर्तमान में देश के विभिन्न स्थानों पर वर्ष में चार बार मैनुअल मोड से 23 हजार से अधिक कुओं की निगरानी कर रहा है। देशभर में 9 हजार निगरानी स्टेशनों (पीजोमीटर) लगाने निर्णय लिया गया है।
मुकेश मोहन, प्रमुख अभियंता, सिंचाई विभाग, उत्तराखंड