कब होगी सर्जरी, जब जान निकल जाएगी
देहरादून (ब्यूरो)। दून हॉस्पिटल में बीते सप्ताह उत्तरकाशी से एक महिला ने पेट में दर्द के कारण हॉस्पिटल में जांच कराई। पहले तो अल्ट्रासाउंड न होने के कारण प्राइवेट लैब से टेस्ट कराया तो पित्त की थैली में पथरी निकली। वापस सरकारी हॉस्पिटल पहुंचे तो सर्जरी के लिए आगे की डेट देकर घर भेज दिया गया। मरीज जब दर्द सहन नहीं कर पाया तो मजबूरन उन्हें प्राइवेट हॉस्पिटल में सर्जरी करवानी पड़ी।
सर्जरी की डेट देकर थमा दी दवा
श्रीनगर निवासी अंजू गले में गांठ की समस्या को लेकर दून पहुंची थी। कई टेस्ट के बाद डायग्नोस नहीं हुआ तो डॉक्टर ने टेस्ट किए। जांच में इंफेक्शन के साथ गॉल ब्लैडर में डिसऑर्डर की बात बताई और सर्जरी की सलाह दी। लेकिन, सर्जरी के लिए आगे की डेट देकर डॉक्टर ने दवा देकर इंतजार करने को कहा। इसके बाद अंजू अब प्राइवेट हॉस्पिटल से इलाज करा रही है।
दून हॉस्पिटल में ये स्टाफ कम
ओटी
टेक्नीशियन
वार्ड ब्वॉय
नर्सिंग स्टाफ
सफाई कर्मचारी
जनरल
ईएनजी
ऑर्थो
गायनी
आफ्थेल्मोलॉजी
न्यूरो
एक चौथाई से कम ऑपरेशन
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की ओटी में आम दिनों में सभी डिपार्टमेंट की 4 से 5 सर्जरी डेली होती थी। लेकिन, इन दिनों सभी ओटी में सिर्फ 6 से 6 सर्जरी ही हो पा रही हैैं। इमरजेंसी कंडीशन में ही पेशेंट की सर्जरी की जा रही है। कम गंभीर मामलों में मरीज को दवा देकर आगे की डेट दी जा रही है।
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की इमरजेंसी में पेशेंट को भर्ती तो किया गया। लेकिन, उन्हें वार्ड में शिफ्ट करने के लिए दो दिन तक का समय लग रहा है। हॉस्पिटल में वार्ड ब्वॉय न होने के कारण पेशेंट को वार्ड में शिफ्ट करने में देरी हो रही है। ऐसे में हॉस्पिटल की इमरजेंसी फुल है। अल्ट्रासाउंड व्यवस्था नहीं ट्रैक पर
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में बीते 3 माह से अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पा रही है। हॉस्पिटल की ओपीडी में जांच के लिए पहुंचे पेशेंट को परेशानी हो रही है। ज्यादातर पेशेंट्स को अल्ट्रासाउंड के लिए प्राइवेट लैब जाना पड़ रहा है। कब मिटेगा मर्ज
मैं तीन दिन इंतजार करने के बाद वापस जा रही हूं। यहां हॉस्पिटल में भर्ती तो कर दिया। लेकिन, इलाज ही शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में प्राइवेट हॉस्पिटल जाना हमारी मजबूरी है।
रिहाना, पेशेंट
मेरा भाई दो दिन से इमरजेंसी में भर्ती है, लेकिन उसे वार्ड में शिफ्ट नहीं किया जा रहा। हम टिहरी से इलाज के लिए पहुंचे। उसके पैर की हड्डी टूटी हुई है। यहां स्टाफ ही नहीं है। ऐसे में हम कहां जाएं।
कुन्दन सिंह, अटेंडेेंट
डॉ। आशुतोष सयाना, प्रिंसिपल दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल