कोरोना अलर्ट के चलते ऑनलाइन-ऑफलाइन क्लासेज के चक्कर में बच्चों की पढ़ाई की लय बिगड़ गई है। ऑनलाइन क्लासेज ने बच्चों कों मेंटली भी चेंज किया है। वे फोन पर ज्यादा वक्त बिताने लगे हैैं और गैरजरूरी मैटेरियल एक्सेस करने लगे हैैं। अब करीब 2 साल बाद जब ऑफलाइन क्लासेज स्टार्ट हुई हैैं तो 50 परसेंट बच्चे ही स्कूल पहुंच रहे हैैं। वे स्कूल जाने से बच रहे हैैं।

देहरादून (ब्यूरो)। ऑनलाइन क्लासेज को लेकर एक एनजीओ की ओर से किये गए सर्वे में कई बातें निकल कर सामने आईं। फाइंडिंग्स में देखा गया कि कई बच्चों की राइटिंग स्किल ऑनलाइन क्लासेज के कारण पहले से खराब हुई है। ऐसे स्टूडेंट्स की संख्या 57 परसेंट रही।

डिसिप्लिन लेवल भी गिरा
स्कूल अटैैंड करने के साथ ही बच्चों में डिसिप्लिन खुद ब खुद आ जाता है। ऑनलाइन क्लासेज के कारण बच्चे डिसिप्लिन भूल गए। ऑफलाइन क्लासेज के दौरान देखा गया कि कई बच्चे प्रॉपर स्कूल यूनिफार्म भी पहन कर नहीं आ रहे। क्लासेज से दौरान ईटिंग हैबिट भी स्टूडेंट्स में देखी गई। ऑनलाइन क्लासेज के दौरान टीचर्स ने अगर क्वेश्चन राइज किए तो स्टूडेंट्स ने नेटवर्क प्रॉब्लम का बहाना बनाकर जवाब देने से बचना चाहा। 13 साल से ज्यादा के बच्चों में इस तरह की दिक्कतें ज्यादा देखने में आईं।

इंटरनेट पर इंटरएक्शन ज्यादा
- ऑनलाइन क्लासेज ने बच्चों को नेटवर्क एक्सेस करना सिखाया।
- वे पढ़ाई के बजाय दूसरी साइट्स को एक्सेस करने लगे।
- ऑनलाइन क्लासेज में बच्चों का लाइव इंटरएक्शन कम पाया गया।
- प्रैक्टिकल में बच्चे हो रहे फेल।
- अपने से ज्यादा उम्र के लोगों से चैटिंग की आदत।
- अनट्रेडिश्नल एजुकेशन की ओर रुख।
-पेन-पेपर मैथड में भी आए बदलाव।
- पढ़ाई की जगह गेम्स और यू-ट्यूब की लगी लत।

बढ़ी इस तरह की दिक्कत
- 57 परसेंट बच्चों का गिर गया राइटिंग स्किल।
- एग्जाम्स में गिरी परफॉर्मेंस।
- एजुकेशन का लेवल हुआ डाउन।
- ऑप्शनल और शॉर्ट आंसर टाइप पेपर को बच्चे दे रहे प्राथमिकता।
- फिजिकल एक्टिविटी हुई कम।
- बच्चों में बढ़ी चिड़चिड़ाहट।
- बच्चों में एकाकीपन बढ़ा।

स्टूडेंट्स बोले
ऑनलाइन क्लास में कई बार क्वेरी करना चाहते थे, लेकिन नेटवर्क प्रॉब्लम के कारण जवाब नहीं मिल पाते थे। टीचर्स तक हमारी क्वेरी ही नहीं पहुंच पाती। ऐसे में ऑनलाइन क्लास से बेहतर ऑफलाइन क्लास लगती है।
- आयुष भंडारी, हिल्टन स्कूल देहरादून

कई बार ऑनलाइन क्लास के दौरान कॉपी चेक नहीं होती थी। क्लास का लेक्चर को रिकॉर्ड करके सुन लेेते थे। क्लास तो प्रॉपर चली लेकिन, प्रैक्टिकल क्लासेज न होने के कारण कई बार इक्वेशन समझ में नहीं आती है।
- हर्षित उनियाल, केवि नम्बर 1


साइकियाट्रिस्टस बोले
कोरोना के दौरान बच्चों में सोशल एक्टिविटी की भावना कम हो गई है। बच्चे ऑनलाइन क्लास में ज्यादा इंटरेस्ट ले रहे हैं। वे ऑफलाइन क्लासेज से बच रहे हैैं। कई बच्चों में फ्रस्ट्रेशन भी बढ़ता देखा गया। उनमें चिड़चिड़ाहट ज्यादा देखने में आ रही है।
- डॉ। निशा सिंगला, साइकियाट्रिस्ट, कोरोनेशन हॉस्पिटल

ऑनलाइन क्लासेज के चलते बच्चे पढ़ाई के साथ दूसरी ऑनलाइन एक्टिविटीज में ज्यादा इन्वॉल्व होने लगे। जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हुई है। बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी भी कम हुई है, प्रैक्टिकल की आदत छूट गई है।
- डॉ। जया नवानी, साइकियाट्रिस्ट दून हॉस्पिटल

साइबर एक्सपर्ट ने यह किया नोटिस
ऑनलाइन क्लासेज के दौरान बच्चों ने फेक आईडी बनाकर क्लास में घुसकर अपशब्द बोलना और क्लास को डिस्टर्ब करने जैसी हरकतें भी कीं। हालांकि, टीचर्स ने इसे बचकानी हरकत समझ कर छोड़ दिया। लेकिन, इस तरह की मेंटेलिटी कई सवाल खड़े करती है।
- अंकुश मिश्रा, साइबर एक्सपर्ट

एकेडमिक स्टाफ का ऑब्जर्वेशन
ऑनलाइन क्लास के बाद अब बच्चे ऑफलाइन क्लास में नहीं आना चाहते हैं। इसका नतीजा है कि केवल 50 परसेंट बच्चे ही ऑफलाइन क्लास में पहुंच रहे हैं। ऐसे में ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन क्लास चलाना भी स्कूलों की मजबूरी हो गई है ऐसे में पेरेन्ट्स को चाहिए कि वे बच्चों के शिक्षा स्तर को बरकरार रखने के लिए बच्चों को स्कूल भेजें।
- दिनेश बडत्थ्वाल, प्रिंसिपल दून इंटरनेशनल स्कूल

Posted By: Inextlive