उत्तराखंड में एक ओलंपियन को अपने हक के लिए कोर्ट का रुख करना पड़ रहा है। बाजपुर निवासी ओलंपियन गुरमीत सिंह को खेल विभाग से अपना &हक&य यानी पुरस्कार राशि के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है।

देहरादून (ब्यूरो)। अपने हक की लड़ाई लड़ रहे ओलंपियन गुरमीत सिंह ने बताया कि उन्होंने मार्च 2016 में एशियन चैंपियनशिप में 20 किमी रेस वाक में स्वर्ण पदक जीता था। खेल नीति-2014 के अनुसार इस उपलब्धि के लिए उन्हें 10 लाख की पुरस्कार राशि मिलनी थी। वहीं, मई 2016 में इटली में आयोजित हुई वर्ल्ड रेस वाक चैंपियनशिप में प्रतिभाग करने पर एक लाख मिलने थे, लेकिन विभाग ने उन्हें एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने पर पांच लाख और वर्ल्ड रेस वाक चैंपियनशिप में प्रतिभाग करने के लिए 50 हजार रुपये दिए। गुरमीत ने बताया कि कई बार खेल विभाग के संयुक्त निदेशक डा। धर्मेंद्र भट्ट से पत्राचार भी किया, मगर विभाग ने उन्हें दिसंबर 2016 में खेल नीति में हुए संशोधन का हवाला देकर बची हुई पुरस्कार राशि देने से इंकार कर दिया। गुरमीत का कहना है कि ऐसे में उन्होंने अपने हक के लिए कोर्ट जाने का मन बनाया है।

इस बारे में संयुक्त निदेशक खेल सतीश सार्की का कहना है कि ओलंपियन गुरमीत को कम पुरस्कार राशि देने का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। सरकार की जो भी गाइडलाइन होती है विभाग उसी के तहत कार्य करता है। खेल विभाग खिलाड़ियों की उन्नति के लिए हर संभव कदम उठा रहा है।

dehradun@inext.co.in

Posted By: Inextlive