हे भगवान, नालियों की ये दुर्दशा
- क्षेत्र के लोगों का आरोप, शिकायत के बाद भी नगर निगम नहीं लेता सफाई की सुध
देहरादून, ब्यूरो: चंद्रबनी क्षेत्र में भी कई जगहों पर नाली में व्याप्त गंदगी पब्लिक के लिए परेशानी का सबब बनी है। कैलाशपुर के पास की नाली पूरी तरह क्षतिग्रस्त है, जिससे दुर्घटना का खतरा बना हुआ है। लंबे समय से नालियों की सफाई नहीं हुई है। नालियों में सड़ रहा कूड़ा कचरा दुर्गंध का कारण बन रहा है। क्षेत्रवासियों का आरोप है कि शिकायत के बाद भी नगर निगम नालियों की सफाई का संज्ञान नहीं लेता है।दुर्र्गंध ने किया जीना मुहाल
क्षेत्र में जिन नालियों का कचरा नालों में जा रहा है उसकी भी सफाई व्यवस्था चौपट है। आसन नाला और गौतम कुंड नाले की सफाई कई वर्षों से नहीं हुई है। बरसात के बाद भी नाले में बड़ी मात्रा में कचरा जमा हो गया है। नाले की बदबू से पब्लिक परेशान है। पब्लिक का कहना है कि नालियों और नालों की सफाई को लेकर नगर निगम से शिकायत की जाती है, लेकिन आज तक निगम की ओर से नाले-नालियों की सफाई नहीं की गई है।
डीएम तक भी की शिकायतें
चंद्रबनी क्षेत्र में जगह-जगह नालियां क्षतिग्रस्त है, जिनसे बरसात के दौरान पूरा गंदा पानी सड़कों पर बह कर आ जाता है, जिससे आवाजाही में लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि क्षतिग्रस्त नालियों की मरम्मत को लेकर डीएम से कई बार शिकायत की गई, लेकिन फिर भी मरम्मत नहीं हुई।
क्षेत्र में कई जगहों पर नालियां है ही नहीं है। सड़कें बना दी गई, लेकिन नाली बनाना भूल गए। क्षेत्रीय पार्षद सुखबीर सिंह बुटाला का कहना है कि नालियों के निर्माण की लगातार क्षेत्र के लोग मांग करते आ रहे हैं। नगर निगम से लेकर लोक निर्माण निर्माण विभाग तक को लगातार ज्ञापन दिया जा रहा है। डीएम से लेकर शासन तक से भी कार्रवाई की मां की गई है।
सड़कों की मरम्मत के साथ ही नालियों की सफाई और मरम्मत भी होनी चाहिए। क्षेत्र में कई जगहों पर सड़कों पर नालियां ही नहीं है, जिसकी बार-बार मांग की जा रही है।
सुखबीर सिंह बुटोला, पार्षद नगर निगम नालों और नालियों की सफाई को लेकर गंभीर नहीं है। नालियों की गंदगी को समय-समय पर साफ किया जाना चाहिए, ताकि बीमारियों का खतरा न हो।
मनोज बडोनी, सोशल एक्टिविस्ट
कम से कम त्योहार के सीजन में नालियों की सफाई की जानी चाहिए। एक तरफ स्वच्छ भारत अभियान और दूसरे तरफ बदबूदार नालियां कहां तक उचित है।
शुभम नेगी
कांति देवी DEHRADUN@gmai.com