खुशियों की सवारी से अब अल्ट्रासाउंड फैसिलिटी
देहरादून (ब्यूरो)। वर्ष 2019 के बाद बंद और बीती 7 सितंबर से शुरू हुई खुशियों की सवारी महिलाओं को खूब भा रही है। खुशियों की सवारी के तहत सरकारी अस्पताल से जच्चा बच्चा को घर तक छोड़ा जाता है। कुछ वर्ष पहले यह योजना बंद हो गई थी। जहां तहां इसके वाहन खस्ताहाल में पड़े हुए थे। लेकिन, सरकार ने इनीशिएटिव लेते हुए दोबारा खुशियों की सवारी का संचालन किया है। जिसकी जिम्मेदारी कैंप ( कम्युनिटी एक्शन थ्रू मोटिवेशनल प्रोग्राम) को दिया गया है। बताया गया है कि शुरू किए गए केकेएस के तहत अब तक रोजाना 100 से लेकर 125 तक जरूरतमंद महिलाओं के फोन कॉल्स रिसीव हो रही हैं और उन्हें सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है।
केकेएस पर एक नजर-कुल वाहनों की संख्या---128
-दून में वाहनों की तैनाती--17
-टॉल फ्री नंबर ---102
-रोज आने वाली फोन कॉल्स---125 तक
आशा से लिया जा रहा डाटा
108 व केकेएस का संचालन करने वाली कंपनी कैंप के मुताबिक बेहतर मैनेजमेंट के लिए अब वे आशा वर्कर्स की मदद ली जा रही है। जिससे प्रेगनमेंट महिलाओं को डाटा तैयार किए जाने के साथ ही हॉस्पिटल से अल्ट्रासाउंड की सुविधा का टाइअप किया जा सके। जिससे पहले ही कैंप को पता चल सके कि अब उनके पास महिलाओं के कॉल्स आने वाले हैं।
कैंप स्टेट में 108 का भी संचालन करता है। ऐसे में केकेएस के संचालन का जिम्मा मिलने के बाद कंपनी के पास महिलाओं की ओर से वैक्सीनेशन के लिए भी केकेएस की सुविधा दिए जाने के कॉल्स आ रही हैं। कैंप के स्टेट हेड अनिल शर्मा ने बताया कि सरकार के निर्देश में इसका जिक्र नहीं है। इसको लेकर हेल्थ डिपार्टमेंट से मंथन किया जाएगा।