Dehradun News: फ्लड प्लेन जोन में बसे घरों को अब 60 दिनों का वक्त
देहरादून, (ब्यूरो): रिस्पना नदी किनारे फ्लड प्लेन जोन में बसे तमाम घरों के पुनर्वास को लेकर जल्द प्रयास तेज हो सकते हैं। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने सिंचाई विभाग के सर्वे में चिह्नित किए गए निर्माण पर 60 दिनों के भीतर आपत्ति मांगकर निस्तारण के निर्देश दिए हैं। संभावना है कि इसके बाद फ्लड जोन में स्थित निर्माण को ध्वस्त किया जा सकता है। लेकिन, इसके लिए बस्तीवासियों के पुनर्वास की ठोस योजना भी समय बनानी होगी।
दिल्ली में हुई सुनवाई
मंगलवार को दिल्ली में हुई एनजीटी में रिस्पना किनारे निर्माण को लेकर सुनवाई हुई। जिसमें एनजीटी ने डीएम की अध्यक्षता में सर्वे में चिहि्िनत घरों पर आपत्ति मांगकर 60 दिनों के भीतर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। दरअसल, गत जुलाई में ङ्क्षसचाई विभाग की टीम ने एनजीटी के निर्देश पर अगले 25 वर्ष और 100 वर्ष की संभावनाओं के आधार पर रिस्पना नदी के फ्लड प्लेन जोन का सर्वे किया। नदी के दोनों ओर 50 से 100 मीटर तक की दूरी को ज्यादा सेंसेअिव मानते हुए सर्वे रिपोर्ट तैयार की। बालासुंदरी मंदिर के बाद काठबंगला बस्ती से लेकर मोथरोवाला और दौड़वाला नौका तक रिस्पना के किनारने ऐसे स्थान चिह्नित किए गए। जहां नदी के मूल स्वरूप में अधिक बदलाव आया है और भविष्य में बड़ी बाढ़ की संभावना हो सकती है। इसको देखते हुए सर्वे रिपोर्ट एनजीटी के समक्ष रख दी गई। इसके अलावा प्रशासन को भी उपलब्ध करा दी गई। अब इस पर 60 दिन यानि माह का समय आपत्तियां मांगने के लिए निर्धारित किया गया है। माना जा रहा है कि इसके बाद आपत्तियों का निस्तारण होगा और निर्माण ध्वस्त करने के साथ ही रिहैबिलिटेशन के लिए कार्य किया जाएगा।
पहले सर्वे रिपोर्ट, उसके बाद तैयार किया नक्शा
गत 24 जुलाई को एनजीटी में हुई सुनवाई के दौरान रिस्पना के फ्लड प्लेन जोन में स्थित निर्माण को चिह्नित कर धवस्त करने और बस्तियों के निवासियों का पुनर्वास करने के निर्देश संबंधित विभागों को दिए गए। जिसके बाद सिंचाई विभाग की ओर से फ्लड प्लेन जोन की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर नक्शा तैयार किया गया। फ्लड जोन में स्थित सैकड़ों घरों पर लाल निशान लगाए गए। इसके तहत रिस्पना नदी पर बसी करीब 27 बस्तियों में बड़ी संख्या में घर फ्लड जोन की दायरे में हैं।
बाढ़ को देखते हुए कई क्षेत्र संवेदनशील
-सिंचाई विभाग की रुड़की रिसर्च इकाई ने रिस्पना नदी के दोनों ओर फ्लड जोन का सर्वे कर 50-100 मीटर पर लगाए हैं निशान।
-टीम ने शिखर फॉल से लेकर मोथरोवाला दूधली रोड तक फ्लड जोन किए गए चिह्नित।
-नदी में करीब 26 किमी लंबे क्षेत्र में आगामी 25 वर्ष और 100 वर्ष तक बाढ़ की संभावना को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट।
-नदी के किनारों पर ऐसे सैकड़ों प्वाइंट बनाए गए हैं, जिन पर बाढ़ का बना हुआ है खतरा।
इन इलाकों में बाढ़ का खरता
-कंडोली
-चीड़ोंवाली खाला
-मोहिनी रोड पुल
-बलवीर रोड पुल
-चूना भट्टा
-अधोईवाला
-दीपनगर
-रामनगर
ऋषिनगर
-वाणी विहार
-भगत सिंह कॉलोनी
कुल 27 बस्तियां शामिल
शिखर फॉल से होकर दूधली तक जा रही रिस्पना नदी में कुल 27 बस्तियां हैं। जिनमें से कुछ बस्तियों में काफी ज्यादा मात्रा में अतिक्रमण के कारण नदी की चौड़ाई काफी कम हो गई है। ऐसे में बड़ी संख्या में निर्माण को तोड़कर पुनर्वास किया जाना भी शासन और प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
फाइनल ऑर्डर आना बाकी
बताया जा रहा है कि एनजीटी की इस सुनवाई में स्टेट से सीएस, नगर आयुक्त, सचिव सिंचाई आदि अधिकारी भी जुड़े रहे। बताया जा रहा है कि एनजीटी की ओर से इस बावत फाइल ऑर्डर आना बाकी है। ये भी बताया जा रहा है कि इस मामले में नगर निगम के अलावा एमडीडीए भी वर्ष 2016 के बाद के निर्माण पर पहले ही एनजीटी के निर्देश पर कार्रवाई कर चुका है।