हॉस्पिटल से परहेज कर रहे नॉन-कोविड पेशेंट्स
- कोरोना संक्त्रमण के बीच शुरू हो चुकी हैं दून हॉस्पिटल में नॉन-कोविड ओपीडी
- सैटरडे को 265 मरीजों ने कराया रजिस्ट्रेशन, फ्लू और मेडिसिन वार्ड में ही पहुंच रहे पेशेंट्स देहरादून, दून हॉस्पिटल को कोविड हॉस्पिटल बनाने के बाद डेढ़ माह बाद खुली ओपीडी में इलाज को कम मरीज ही पहुंच रहे हैं। फ्लू और मेडिसन ओपीडी को छोड़कर दूसरे ओपीडी में निर्धारित 25 मरीज भी नहीं पहुंच रहे हैं। अभी लोगों में हॉस्पिटल को लेकर कोरोना का डर बना हुआ है। 2 घंटे चल रही ओपीडीदून हॉस्पिटल में करीब डेढ़ माह बाद 9 जून से ओपीडी शुरू हो गई है। सुबह 8 बजे से 2 बजे तक न्यू बिल्डिंग में ओपीडी खुल रही है। 8 बजे से 10 बजे तक 25 मरीजों का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है। इसके बाद 2 बजे तक ओपीडी का टाइम रखा गया है। लेकिन अभी भी लोगों ने हॉस्पिटल से दूरी बनाई हुई है। न्यू बिल्डिंग में ही एक्स रे, अल्ट्रासाउंड और ओपीडी शामिल हैं। बीते 4 दिनों में 11 जून को सबसे ज्यादा 373 मरीज इलाज करवाने पहुंचे। सैटरडे 12 जून को 259 मरीजों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया। इससे पहले 10 जून को सबसे कम 159 मरीज ही हॉस्पिटल पहुंचे थे। पहले दिन भी 222 मरीजों ने हॉस्पिटल में इलाज करवाया था। बता दें कि सामान्य दिनों में दून हॉस्पिटल की ओपीडी में रोजाना 1000 से 1500 तक मरीज आते हैं। अगले चरण में सामान्य मरीजों को भर्ती किये जाने का प्रस्ताव है।
साल भर से एमआरआई नहीं दून अस्पताल में एमआरआई मशीन एक साल से ज्यादा से खराब है। यहां पर मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ब्लैक फं गस के मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। अब ओपीडी शुरू होने पर न्यूरो के मरीजों को दिक्कत हो रही है। कॉलेज प्रबंधन द्वारा लंबे समय से एमआरआई मशीन को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गये हैं। पिछले साल इतनी लापरवाही बरती गई कि पूरा बजट ही लैप्स हो गयाण् 12 जून को दून हॉस्पिटल की ओपीडी में मरीजों का रजिस्ट्रेशन ओपीडी मरीज एएनसी 23 कैंसर 0 डेंटल 2ईएनटी 16
आई 10 मेडिसिन 40 न्यूरो सर्जरी 9 ओबीएस एंड गायनो 6 ऑर्थोपेडिक 20 पीडियाट्रिक 4 साइकेट्रिस्ट 7 स्किन 21 सर्जरी 5 टीबी एंड चेस्ट 5 कॉर्डियोलॉजी 2 फ्लू 88 एआरटी 1 । अब तक कितने ओपीडी रजिस्ट्रेशन 12 जून 25911 जून 373
10 जून 159 9 जून 222 कोरोना से धीरे-धीरे लोग बाहर आ रहे हैं। मरीजों की संख्या भी बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। सुविधाओं को लेकर भी लगातार कोशिशें जारी हैं। डॉ। आशुतोष सयाना, प्रिंसिपल, दून मेडिकल कॉलेज