सेफ्टी नहीं, ट्री गार्ड से घुट रहा पेड़ों का दम
- विकास कार्यों के चलते गायब हो रही शहर की हरियाली
- बचे-खुचे पेड़ों के संरक्षण के नाम पर हो रही सिर्फ औपचारिकता
पेड़ोंं पर कील ठोकना बड़ा अपराध नहीं: डीएफओ
देहरादून के डीएफओ एनएम त्रिपाठी पेड़ों को बचाने के लिए कितने गंभीर हैं वह उनकी बातों से स्पष्ट हो जाता है। इस बारे में जब हमने उनसे पूछा तो उनका कहना है कि पेड़ों पर कील ठोकना सामान्य बात है। यह बड़े अपराध की श्रेणी में नहीं है। कील ठोकने पर मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता है। एक्ट के तहत संबंधित व्यक्ति का चालान किया जा सकता है, जो वन विभाग समय-समय पर करता है। डीएफओ की इस बात से पर्यावरण प्रेम काफी आहत है। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि कील ठोकने से पेड़ों की जड़ें कमजोर हो रही है और वे धीरे-धीरे सूख रहे हैं। क्या यह सामान्य बात है। यदि यह सामान्य बात है, तो पेड़ लगाना ही बेकार है।
सहस्रधारा मार्ग सहित कई मार्गों के चौडरीकरण के नाम पर अनगिनत पेड़ काट कर पर्यावरण को नुकसान ही नहीं पहुंचाया गया बल्कि सड़कें सूनी क रदी गई। बची-खुची कसर विज्ञापन करने वाले बोर्ड कर रहे हैं। नगर निगम अधिकारियों के साथ ही मेयर से भी इसकी शिकायत की गई, लेकिन कार्रवाई शून्य है।
यशवीर आर्य, संयोजक, जागरुक बनो आवाजा उठाओ पेड़ों पर कील ठोंकने को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से उठाया गया मुद्दा बहुत ही सराहनीय है। जो लोग वृक्षों को प्रकृति को जिंदा न समझ कर उन्हें बेजान खम्भे समझते हैं उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इसके लिए प्रशासन की ओर से अवेयरनेस ड्राईव भी चलाई जानी चाहिए।
डा। आंचल शर्मा, द अर्थ एंड क्लाइमेट इनिसिएटिव
एक ओर वन विभाग समेत तमाम सरकारी विभाग पौधरोपण कर रहा है वहीं दूसरी ओर शहर में हर तरफ पेड़ों पर कीलों से बैनर, पोस्टर और अन्य प्रचार-प्रसार सामग्री लगाने के लिए कीलें ठोक कर पेड़ों को सुखाया जा रहा है। सड़कों से पेड़ों पर टंगे विज्ञापनों को तत्काल हटाकर संबंधित लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए, ताकि पेड़ों को बचाया जा सके।
वीरू बिष्ट, महासचिव, पर्वतीय कल्याण समिति, मोहनपुर, प्रेमनगर
रोशन राणा, अध्यक्ष, श्री महाकाल सेवा समिति, देहरादून
वृक्ष विरूपण एक्ट का पालन नहीं
इनवायरमेंट विरूपण एक्ट में स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति जो पेड़ को नुकसान पहुंचाता है, उनके खिलाफ 10 हजार रुपये का जुर्माने का प्रावधान है। यहां तक कि मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है, लेकिन वन विभाग हो या नगर नगर निगम, किसी ने भी आज तक एक भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। जबकि पेड़ों पर कील ठोंक कर जो व्यक्ति एडवरटाइजिंग कर रहा है उसका नाम, नंबर और पता उसमें स्पष्ट लिखा गया है। जिम्मेदार विभागों की लापरवाही पेड़ों पर भारी गुजर रही है।
मनुज गोयल, नगर आयुक्त, देहरादून वन विभाग पेड़ों को नुकसान पहुंचाने पर समय-समय पर चालानी कार्रवाई करता है। नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत कार्रवाई का अधिकार नगर निगम को है। पेड़ पर कील ठोकना बड़ा अपराध नहीं है कि संबंधित व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। कहीं पर नियमों का वायलेशन हो रहा है, तो उस पर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।
एनएम त्रिपाठी, डीएफओ, देहरादून