मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की आराधना के साथ शारदीय नवरात्र की आज से शुरुआत हो जाएगी। कलश स्थापना का शुभ मूहुर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। 22 को अष्टमी जबकि 23 को नवमी पूजन होगा। इन नौ दिनों तक घरों व मंदिरों में मां दुर्गा के नौ स्वरूप की आराधना होगी। इसके अलावा शहर के तमाम मंदिर कलरफुल लाइटों से सज गए हैं। जहां पर भजन व कीर्तन का क्रम भी शुरू हो जाएगा। इधर नवरात्र शुरू होने के मौके पर तमाम बाजारों में देर शाम तक खरीदारों की भीड़ दिखी।

देहरादून(ब्यूरो) अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्र की शुरुआत होती है, जिसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। आचार्य डा। सुशांत राज के अनुसार, शुक्ल पक्ष की पहली तिथि संडे को रात 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। इसलिए सूर्य उगने की तिथि के अनुसार रविवार से नवरात्र शुरू माने जाएंगे। सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक कलश स्थाापना होगा। साथ ही मां दुर्गा की प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की आराधना होगी।

9 दिनों में ऐसे होगी मां दुर्गा के स्वरूपों की पूजा
पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंदमाता, छठी कात्यायनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री।

पूजा की सामग्री व फ्रूट्स की दुकानों पर भीड़
सहारनपुर चौक, हनुमान चौक, पटेलनगर, प्रेमनगर, धर्मपुर समेत विभिन्न क्षेत्रों में लगी पूजा की दुकानों से लोग ने माता का शृंगार, चुनरी, जौ बोने के लिए मिट्टी के पात्र, मूर्तियां नारियल, झालर, हवन सामग्री आदि की खरीदारी की। भीड़ को देखते हुए दुकानदार खुश नजर आए। फ्रूट्स की दुकान में काफी भीड़ रही। निरंजनपुर, धर्मपुर, लालपुल मंडियों, छह नंबर पुलिया, हनुमान चौक जैसे इलाकों में फलों की दुकानों पर लोग ने व्रत के लिए फलों की खरीदारी करते हुए नजर आए।

ऐसे करें कलश स्थापना
सुबह उठकर स्नान करने के साथ साफ कपड़े पहनें। मंदिर की साफ-सफाई के साथ गंगाजल छिड़काव हो। उसके बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें। साथ ही इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश में चारों ओर आम, अशोक के पत्ते लगाएं व स्वास्तिक बनाएं। उसके बाद इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें। एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें। नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए मां जगदंबे का जप करें। उसके बाद दीप जलाकर कलश की पूजा की शुरुआत हो।

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Posted By: Inextlive