दून की रिस्पना नदी भविष्य में बरसात के दौरान आने वाले फ्लड से कितनी तबाही लाएगी इसके लिए सिंचाई विभाग नदी की मॉडल स्टडी कर रहा है। विभागीय अफसरों ने फ्लड जोन के लिए मैथामेटिकल मॉडलिंग के जरिए मॉडल स्टडी को ग्राउंड इंस्पेक्शन शुरू कर दिया है। सिंचाई विभाग के जल विज्ञान खंड के अफसरों ने बताया कि अगले 50 साल में रिस्पना नदी में मैक्जिमम कितना फ्लड आएगा इसके लिए पिछले 40-50 साल में आए मैक्जिमम फ्लड की स्टडी की जा रही है।

देहरादून (ब्यूरो) रिस्पना नदी की चौड़ाई कम होने से कभी भी फ्लड बड़ी तबाही ला सकता है। नदी किनारे अतिक्रमण करके लाखों लोग रह रहे हैं। पूर्व में नदी की चौड़ाई 100 से लेकर 150 मीटर थी। जो अब कई जगहों पर 10 मीटर तक सिमट गई है। ऐसे में कभी बड़े स्तर पर फ्लड आता है, तो बड़ी तबाही मच सकती है। दून की नदियों को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) काफी गंभीर है। नदियों को च्वच्छ व अतिक्रमणमुक्त बनाने के लिए एनजीटी की ओर से समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किए जाते रहे हैं। हाल ही में नगर निगम की ओर से रिस्पना नदी में साल 2016 के बाद किए गए कब्जों को चिह्नित किया गया। जिन्हें एनजीटी ने आगामी 30 जून तक हटाने के निर्देश दिए हैं। अब एनजीटी के निर्देश पर रिस्पना नदी के फ्लड जोन चिहि्िनत करने को लेकर सर्वे शुरू कर दिया गया है। ङ्क्षसचाई विभाग की ओर से किए जा रहे सर्वे में बड़ी संख्या में स्लम एरियाज चिह्नित होने की आंशका है।

फ्लड जोन आइडेंटिफिकेशन
ङ्क्षसचाई विभाग के जल विज्ञान खंड, बहादराबाद हरिद्वार की दो टीमें रिस्पना नदी के दोनों छोर पर फ्लड जोन के आइडेेंटीफिकेशन में जुट गई हैं। एनजीटी के निर्देश पर जिलाधिकारी की अगुआई में यह कार्रवाई ङ्क्षसचाई विभाग की टीमें कर रही हैं। नदी किनारों का सर्वे कर निशान लगाने शुरू हो गए हैं। उत्तराखंड बनने से पहले रिस्पना और ङ्क्षबदाल नदी की चौड़ाई काफी अधिक थी। बीते वर्षों में नदियों के किनारे अवैध कब्जे हुए और धीरे-धीरे बस्तियां बसगईं। देहरादून में प्रमुख नदी नालों के किनारे वर्ष 2016 तक 129 मलिन बस्तियां जिनमें 40 हजार से अधिक भवन दर्ज किए गए। इसके बाद भी अतिक्रमण का सिलसिला जारी रहा और कई स्थानों पर नदियां नाला बन गई।

बाढ से हर साल होती है तबाही
वर्षाकाल में हर वर्ष नदी के उफान पर आने से कई बस्तियों में मकान, पुस्ते और ढांग बहने के मामले आते हैं। बाढ़ का पानी घरों में घुसने के साथ ही कई बार आसपास बसे लोगों को भी बहा ले जाता है। अब किए जा रहे सर्वे में फ्लड जोन में बड़ी संख्या में स्लम एरियाज के मकान आ सकते हैं।

नदी में डाली जा रही गंदगी व सीवेज
रिस्पना समेत तमाम नदियों में सीवेज और गंदगी बहाने पर भी एनजीटी सख्त है। एनजीटी के निर्देश पर रिस्पना नदी में सीवेज का डिस्चार्ज रोकने के लिए नगर आयुक्त गौरव कुमार कार्रवाई करेंगे। उन्हें एनजीटी ने ठोस योजना बनाने और संबंधित विभागों से समन्वय बनाकर स्थायी समाधान निकालने को कहा गया है।

रिस्पना नदी में फ्लड जोन के लिए मॉडल स्टडी का काम शुरू किया गया है। मॉडल स्टडी के जरिए यह जानने का प्रयास किया जा है कि नदी में फ्लड आने पर कितना पानी आउट हो सकता है। अधिक फ्लड आने पर कौन से इलाके चपेट में आ सकते हैं। जल्द ही स्टडी पूरा कर रिपोर्ट डीएम को सौंपी जाएगी।
जयेंद्र सिंह जयाड़ा, अधिशासी अभियंता, जल विज्ञान खंड, हरिद्वार

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Posted By: Inextlive