विकास का अनोखा मॉडल सिर्फ दून में
देहरादून (ब्यूरो)। ताजा उदाहरण अजबपुर खुर्द क्षेत्र में एक रोड के डामरीकरण और सड़क के साइड में नाली बनाने से जुड़ा हुआ है। माता मंदिर रोड से सरस्वती विहार के विभिन्न ब्लॉक से होती हुई करीब आधा किमी लंबी यह रोड कारगी चौक के पास हरिद्वार बाईपास से मिलती है। पिछले एक हफ्ते से ज्यादा समय से रोड का डामरीकरण हो रहा है। इसके साथ ही रोड के एक हिस्से में नाली का निर्माण भी होना है। एक हफ्ते पहले इस रोड के आधे हिस्से का डामरीकरण हुआ। डामरीकरण का काम आगे नहीं बढ़ा तो बिना डामरीकरण वाले हिस्से में नाली बनाने के लिए जेसीबी से खुदाई कर दी गई।
खोली, भरी, फिर खोदी रोड
डामरीकरण में हो रही देरी के कारण नाली बनाने के लिए खुदाई की गई, लेकिन वेडनसडे को अचानक फरमान आया कि डामरीकरण होना है, इसलिए नाली के लिए खोदी गई मिट्टी जो रोड पर पड़ी है, उसे हटा दिया जाए। सुबह-सुबह लेबर लगाकर खोदी गई मिट्टी वापस भर दी गई। लेकिन, शाम तक डामरीकरण नहीं हो पाया। सुबह एक बार फिर नाली बनाने के लिए वापस भरी गई मिट्टी निकाल दी गई। अभी मिट्टी निकालने के काम चल ही रहा था कि डामरीकरण के लिए मशीन पहुंच गई। इसके बाद निकाली गई मिट्टी एक बार फिर से वापस भर दी गई।
यह पहला मामला नहीं है, जब आपसी सामंजस्य के कारण कई बार फिर और भरान करना पड़ा हो। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के दौरान ऐसा कई बार हुआ है। सुभाष रोड पिछले दो वर्षों में दर्जनों बार खोदी जा चुकी है। यही स्थिति ईसी रोड की भी है। हालांकि अधिकारी कई बार आदेश दे चुके हैं कि सभी विभाग आपस में को-ऑर्डिनेशन करें और जितने भी काम अंडरग्राउंड होने हैं, उन्हें एक ही बार सड़क खोदकर किया जाए। इसके बावजूद शहर में एक सड़क को स्मार्ट सिटी कार्यों के लिए कई बार खोदा जा चुका है।