देहरादून में मेट्रो नियो चलाने के सपने तो देखे जा रहे हैं लेकिन पैसे कहां से आएंगे यह बड़ी समस्या है। दून की सडक़ों पर ट्रैफिक का प्रेशर कम करने के लिए वैकल्पिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जरूरत राज्य बनने के कुछ वर्षों बाद ही महसूस की जाने लगी थी। 2000 में राज्य गठन के समय देहरादून को अस्थाई राजधानी बनाया गया था लेकिन उसी समय यह तय हो गया था कि उत्तराखंड की राजधानी अब कहीं और नहीं जाने वाली है। इसी के साथ दून में नये निर्माणों की बाढ़ आ गई। पर्वतीय क्षेत्रों और दूसरी जगहों से आकर लोग दून में बसने लगे। दून की पॉपुलेशन तेजी से बढऩे लगी और सडक़ों पर ट्रैफिक का प्रेशर बढऩे लगा। इसके बाद से वैकल्पिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जरूरत महसूस की जाने लगी।

देहरादून ब्यूरो। वर्ष 2017 में देहरादून में दिल्ली की तर्ज पर मेट्रो रेल चलाने की योजना बनाई गई। इसके लिए उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन बनाया गया। मेट्रो से पहले दून के मेन रूट्स पर केबल कार चलाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन बाद में इसे कैंसिल कर मेट्रो रेल की डीपीआर तैयार करने को कहा गया। उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन से मेट्रो रेल की डीआपी तैयार करवाई। लेकिन ज्यादा लागत के कारण मेट्रो रेल प्रोजेक्ट कैंसिल कर दिया गया और कुछ नया विकल्प तलाशने के लिए कहा गया।

विदेश दौरे भी हुए
मेट्रो रेल का विकल्प तलाशने के लिए अधिकारियों और नेताओं ने कई देशों की सैर की और वहां से लौटकर रोप-वे का कॉन्सेप्ट परोस दिया गया। रोपवे पर जोर-शोर से योजना तैयार की जाने गली। तीन रूप पर रोप-वे के योजना बनाई गई। स्टेशन भी तय किये गये। लेकिन आखिरकार इसे भी कैंसिल कर दिया गया।

अब मेट्रो नियो पाइपलाइन में
रोपवे प्रोजेक्ट को रद्दी की टोकरी में डालने के बाद कुछ और विकल्प तलाशने की उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को निर्देश दिये गये। कॉरपोरेशन में काफी मेहनत की और मेट्रो नियो की तलाश की। दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन की बनाई मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की डीपीआर के आधार पर मेट्रो नियो की डीपीआर तैयार की गई। इसे मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा गया। कई महीने डीपीआर सचिवालय में पड़ी रहीे और पिछली सरकार की आखिरी कैबिनेट में इसे मंजूरी देकर केंद्र के पास भेज दिया गया।

कहां से लाएं पैसा
फिलहाल केंद्र सरकार के पास डीपीआर मंजूरी के लिए है। मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की ओर से मंत्रालय में प्रेजेंटेशन दिया जा चुका है। जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है। लेकिन, इसे बनाने के लिए अमाउंट कहां से आएगी यह समस्या है। इस प्रोजेक्ट के पूरी तरह कंप्लीट हो जाने तक करीब 18 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है। तय किया गया है कि 60 परसेंट अमाउंट कर्ज ली जाएगी। उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को केंद्र सरकार कम ब्याज पर यह रकम दिलाएगी।

11 सौ करोड़ रुपये कर्ज
अब तक यह किया गया है कि योजना की कुल लागत का 60 परसेंट यानी करीब 11.1 सौ करोड़ लोन लिया जाएगा। 15 परसेंट यानी करीब 2.7 सौ करोड़ रुपये केंद्र सरकार देगी और 25 परसेंट यानी 4.6 सौ करोड़ रुपये राज्य सरकार वहन करेगी।

मेट्रो नियो प्रोजेक्ट के जल्द केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने की उम्मीद है। 60 परसेंट राशि लोन ली जाएगी। यह सॉफ्ट लोन होगा, जो केंद्र सरकार की ओर से दिलाया जाएगा। मेट्रो नियो पीपीपी मोड में नहीं चलाई जाएगी। इसका संचालन पूरी तरह के उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के पास होगा।
जितेन्द्र त्यागी, एमडी
उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन

Posted By: Inextlive