दून तेजी से डेवलप हो रहा है. मिड सिटी से लेकर आउटर दून में भवनों का निर्माण तेजी से हो रहा है लेकिन मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण एमडीडीए में टेक्नीकल स्टाफ की भारी कमी के चलते पब्लिक के काम समय पर नहीं हो रहे हैं.

- एमडीडीए में जेई के 32 पद, स्थाई रूप से कार्यरत सिर्फ एक
- नक्शे पास कराने से लेकर पब्लिक के कई कार्य हो रहे प्रभावित

देहरादून (ब्यूरो): एक दिन में होने वाले काम में कई बार महीनों लग जाते हैैं। एमडीडीए में जूनियर इंजीनियर के 32 पद सृजित हैं, लेकिन इनमें से एक ही परमानेंट जेई कार्यरत है। खास बात यह है कि शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर को व्यवस्थित ढंग से डेवलप करने की जिम्मेदारी जिस एमडीडीए के कंधों पर है उसके फाउंडेशन के पिल्लर ही कमजोर हैं। ऐसे में शहर का निर्माण कितने व्यवस्थित ढंग से हो रहा है समझा जा सकता है।

800 नक्शे पड़े हैैं पेंडिंग
भवनों के नक्शों से लेकर अवैध निर्माण के चालान, कंपाउंडिंग, सड़क और फ्लैट्स का निर्माण हो या फिर पब्लिक से जुड़े कोई अन्य कार्य। हर कार्य में जेई का अहम रोल होता है। लेकिन एमडीडीए के पास जेई ही नहीं हैैं, 32 के सापेक्ष सिर्फ एक जेई परमानेंट है। वर्तमान में 800 से अधिक नक्शे जेई की रिपोर्ट व अन्य कारणों से रुके हुए बताए जा रहे हैं। नई सड़कों की डीपीआर नहीं बन पा रही है। मेंटेनेंस वर्क भी प्रभावित है।

22 साल में एक जेई भर्ती
एमडीडीए 22 साल में सिर्फ एक जूनियर इंजीनियर ही भर्ती कर पाया है। हैरत की बात यह है कि एमडीडीए के ढांचे में जेई के 32 पद सृजित हैं, लेकिन एक ही जेई स्थाई रूप से कार्यरत है। जबकि 3 जेई दूसरे विभागों सेडेप्युटेशन रखे गए हैं। बाकी टैंपरेरी व्यवस्था के तहत लगाए गए हैं। सहायक अभियंता के 16 पदों के सापेक्ष 14 कार्यरत हैं।

जेई का काम भी एई के हवाले
आप यकीन नहीं करेंगे, लेकिन यह सच है। एमडीडीए में एक जेई के ऊपर सिटी की 12 लाख आबादी का दारोमदार है। ऐसे में अवैध निर्माण तो होंगे ही, आखिर एक जेई कहां-कहां जाएगा। हालांकि कुछ जेई आउटसोर्सिंग कंपनी के माध्यम से रखे गए हैं। यकीनन अस्थाई जेई भी अच्छा काम कर रहे होंगे, लेकिन मांग उठ रही है कि वह अस्थाई तौर पर कब तक काम करते रहेंगे। या तो उन्हें ही परमानेंट किया जाए या फिर नई भर्ती की जाए। सहायक अभियंताओं का कहना है कि वह जेई का कार्य भी देख रहे हैं। जबकि तीन स्थाई और दो प्रभारी एक्सईएन कार्यरत हैं।

फील्ड वर्क भी प्रभावित
सिटी का एरिया लगातार फैल रहा है। शहर 40 वार्ड से 100 वार्ड का हो गया है, लेकिन एमडीडीए एक जेई से आगे नहीं बढ़ पाया है। एमडीडीए के पास दून शहर के साथ ही मसूरी से लेकर ऋषिकेश तक का क्षेत्र है। पब्लिक को एक ही काम के लिए कई-कई दिनों तक चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
यह बात सही है कि परमानेंट जेई न होने से कार्य प्रभावित हो रहे हंै। यूकेएसएसएससी में धांधली की वजह से जेई का रिजल्ट नहीं आया है। फिलहाल 5 जेई और एक एई दूसरे विभागों से डेप्युटेशन पर रखने की कार्रवाई की जा रही है। जल्द ही जेई की कमी को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
मोहन सिंह बरनिया, सचिव, एमडीडीए
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Posted By: Inextlive