उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस से पहले जन संगठनों और वामपंथी दलों की ओर से मंडे को देहरादून में सचिवालय तक मार्च निकाला गया। इस मार्च के माध्यम से राज्य में बारी-बारी से शासन करने वाली कांग्रेस और भाजपा से 22 वर्षों में किये गये कामों का हिसाब मांगा गया। आरोप लगाया गया कि दोनों पार्टियों की सरकारों से राज्य की जनता को ठगा है।

देहरादून (ब्यूरो)। जन हस्तक्षेप की ओर से किये गये लोकतंत्र बचाओ, उत्तराखंड बचाओ प्रदर्शन में चेतना आंदोलन और वामपंथी दलों के अलावा सपा ने भी हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारी गांधी पार्क के गेट पर इकट्ठा हुए और जुलूस के रूप में नारेबाजी करते हुए सचिवालय मार्च किया। सचिवालय से पहले ही पुलिस ने बैरिकेड लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोक दिया। प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड पर बैठकर सभा की। यहां वक्ताओं ने राज्य सरकार पर उत्तराखंड की उम्मीदों पर खरा न उतरने के आरोप लगाया।

रोजगार और आवास का मुद्दा
इस प्रदर्शन में रोजगार और गरीब मजदूरों के लिए आवास का मामला मुख्य रूप से उठाया गया। राज्य के नौजवानों के रोजगार पर डाका डालने का आरोप लगाते हुए भाजपा और कांग्रेस पर पैसे लेकर नौकरियां लगाने का आरोप लगाया गया। नौकरियां बेचने वालों पर कार्रवाई में ढील देने का भी आरोप वक्ताओं ने लगाया और कहा कि यूके एसएसएससी पेपर लीक मामले के आरोपी एक-एक कर छूट रहे हैं और सरकार चुप बैठी हुई है। गरीब मजदूरों की झुग्गियां तोडऩे के मामले को लेकर भी नाराजगी व्यक्त की गई। वक्ताओं ने कहा कि शहर को संवारने में जो मजदूर अपना पसीना बहाते हैं, उनके रहने तक की व्यवस्था नहीं है।

अंकिता मर्डर केस
वक्ताओं ने अंकिता मर्डर केस को लेकर बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाये और कहा कि आखिर वह वीआईपी कौन है, जिसे सरकार बचाना चाहती है। यह भी सवाल पूछा गया कि जिस रिजॉर्ट में अंकिता की हत्या हुई, वहां अंकिता से पहले कितनी लड़कियां गायब हुई। अल्मोड़ा के सल्ट क्षेत्र में जगदीश चंद्र और चमोली की पिंकी हत्याकांड पर भी कई सवाल उठाये गये। प्रदर्शनकारियों को मुख्य रूप से समर भंडारी, सुरेन्द्र सजवाण, इंद्रेश मैखुरी, गंगाधर नौटियाल ने संबोधित किया।

Posted By: Inextlive