- कई इलाके बारिश में हो जाते है जलमग्न
हर बार संवेदनशील इलाकों में रहता है जलभराव।
देहरादून, 10 जुलाई (ब्यूरो)।मानसून शुरू होते ही राजधानी दून पानी-पानी है। जल निकाली सिस्टम को बेहतर करने के दावे फिर से आसमानी साबित हुए हैैं। सिटी में जहां भी निकलो, सड़कें तालाब में तब्दील हैैं। इस पर स्मार्ट सिटी के अधूरे कामों ने लोगों की मुश्किल को और बढ़ा दिया है। नगर निगम ने वाटर ड्रेनेज को लेकर अब लकीर पीटना शुरू किया है। अब दावा किया जा रहा है कि संवेदशील इलाके चिन्हित किए जा रहे हैैं, जल्द ही स्थिति में सुधार के लिए एक्सरसाइज की जाएगी। यहां वाटरलॉगिंग की ज्यादा दिक्कत
सहस्त्रधारा रोड
चूना भट्टा
चुक्खू मौहल्ला
इंदिरा कॉलोनी
झंडा मौहल्ला
तिलक रोड
त्यागी रोड
आईएसबीटी
चन्दबनी
हर्रावाला
मोहकमपुर
ब्रहमपुरी
माजरा
सेवलाकंला
पित्थुवाला
ब्राहमणवाला
कंडोली
जाखन
रायपुर
निरंजनपुर सब्जी मंडी
बरसात में रिजार्च पिट का काम
सिटी में जब जगह-जगह जलभराव की समस्या को लेकर शिकायत मिलने लगी तो नगर निगम का रिचार्ज पिट बनाने का प्लान तैयार हुआ। इसके तहत सिटी के 52 एरियाज में रिचार्ज पिट बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया। बरसात के दौरान नगर निगम की ओर से ये रिचार्ज पिट बनाए गए। राजपुर रोड, ऋषिविहार, विजय पार्क, पित्थुवाला, माजरी माफी, शास्त्रीनगर, मोहकमपुर सिद्ध विहार, बंजारावाला, अजबपुर कला, दून विहार, नैश्विला रोड, दर्शनी गेट, प्रिंस चौक से त्यागी रोड पर, दिलाराम बाजार समेत कुल 52 एरियाज में रिचार्ज पिट बनाने का दावा किया जा रहा है।
- नगर निगम क्षेत्र की कुल आबादी - 12लाख 50 हजार
- घरों से जुड़ी हुई सीवर लाइन - 42000 सीवर कनेक्शन
- सिटी में नए पुराने समेत कुल वार्ड - 100
-सिटी में बड़े नाले व छोटी नदियां- 46
- सिटी में छोटी नालियां - करीब 470 सीवर लाइन का पता नहीं
बरसात में अक्सर सीवर लाइन चोक होने के कारण जलभराव होता है। लेकिन, दिक्कत यह है कि जल संस्थान को पता ही नहीं है कि सीवर लाइनें हैैं कहां-कहां। पानी और सीवर की लाइनें साथ-साथ डाली गई हैैं, कई पानी की लाइनें पुरानी हैैं। ऐसे में सीवर लाइन चोक होने पर ढूंढना मुश्किल हो जाता है और लोगों को जलभराव की दिक्कत होती है।
बेतरतीब खोदाई ने किया बेहाल
सिटी में मानसून से ऐन पहले खोदाई का काम किया गया। मानसून शुरू होने तक ये काम पूरे नहीं हो पाए जिसका पब्लिक अब खामियाजा भुगत रही हैै। जहां-जहां खोदाई की गई थी, वहां के हाल बेहाल हैैं। कीचड़ के कारण लोग घरों से नहीं निकल पा रहे हैैं।
इस मानसून कई घरों मेें थोड़ी सी ही बारिश के कारण घरोंं में पानी जाने की सबसे ज्यादा शिकायत मिली। इसका कारण नालियों का ठीक से न बना होना और कई जगह नालियों की सफाई न होने के कारण लोगों के घरों में पानी पहुंचा। प्लान बना रहे हैैं।।।
कोशिश की जा रही है कि बरसात के पानी की भी निकासी ठीक ढंग से हो इसके लिए प्लान बनाया जा रहा है। जल्द ही राजधानी में ड्रेनेज की व्यवस्था सुधरेगी। थोड़ी टेंडर में देरी हुई है। लेकिन जल्द व्यवस्था संभाल ली जाएगी।
सुनील उनियाल गामा, मेयर नगर निगम देहरादून
ड्रेनेज सिस्टम पर पब्लिक भी नाराज
सरस्वती विहार विकास समिति अजबपुर खुर्द के स्थानीय लोगों ने पूरी कॉलोनी का ड्रेनेज सिस्टम पर अपनी नाराजगी प्रकट की। समिति के अध्यक्ष पंचम सिंह बिष्ट एवं सचिव गजेंद्र भंडारी ने कहा कि 4 और 5 जुलाई को अत्यधिक बारिश होने के कारण कॉलोनी की अधिकांश ब्लॉकों में जलभराव होने के कारण लोगों के घरों में पानी घुस गया था। कहा कि कॉलोनी का ड्रेनेज सिस्टम के लिए नगर आयुक्त, जिलाधिकारी एवं मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन दिया जाएगा। जिसमें कॉलोनी के अधिकांश लोगों के हस्ताक्षर होंगे साथ ही शासन प्रशासन को ज्ञापन के माध्यम से अल्टीमेटम भी दिया जाएगा। अगर तय समय पर कॉलोनी की ड्रेनेज सिस्टम पर पुख्ता कार्रवाई नहीं होगी। तो क्षेत्र के सभी लोग धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे।
कांग्रेस के पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा व पूर्व विधायक राजकुमार ने सिटी में जल भराव को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि आईएसबीटी, पलटन बाजार सहित शहर की मुख्य सड़कें और मोहल्ले वर्षा में तालाब का रूप ले रही हैं। स्मार्ट सिटी के नाम पर नालियां ऊपर हो गई हैं और दुकानों नीचे होने से उनमें पानी घुस रहा है। रिस्पना और ङ्क्षबदाल नदी में सफाई नहीं होने से आमजन के घरों में पानी घुसने का खतरा बना हुआ है ।
शहरी विकास मंत्री से की मुलाकात
कांग्रेस ने शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल से मुलाकात की। कहा कि आईएसबीटी में कभी प्रशासन, कभी लोनिवि, कभी हाईवे के अधिकारी निरीक्षण का ड्रामा तो कर रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं कर रहे हैं। सिटी की पूरी सड़कें पूरी खुदी पड़ी हैं। प्रशासन सिर्फ निरीक्षण तक सीमित है। ईसी रोड, रायपुर रोड सहित कई जगह वर्षा में गाडिय़ां फंसी हुई हैं। जल निकासी की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। सरकार पूरी तरह से फेल हो चुकी है।