हेरिटेज सिटी देहरादून अपने आप में इतिहास की कई कहानियां समेटे हुए है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की बिसार दी धरोहर श्रृंखला में आज हम दून की चकराता रोड स्थित कनॉट प्लेस और मनसाराम बैंक की कहानी बताएंगे। लाला मनसाराम दरअसल दून के जाने-माने सेठ थे। उनका मनसाराम एंड संस बैंक देहरादून के ख्यातिप्राप्त बैंक था। इन्हीं लाला मनसाराम ने चकराता रोड के दोनों तरफ बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनाई लेकिन इन बिल्डिंग्स के बनने के बाद ही बैंक डूब गया। कनॉट प्लेस और कैपरी नटराज की बिल्ंिडग सहित कई आवासीय घर औने-पौने दाम में एक हाथ से दूसरे हाथ में बिकते रहे। कनॉट प्लेट का इस हिस्सा बाद में एलआईसी ने खरीद लिया।

देहरादून ब्यूरो। अंग्रेजों ने 1870 के दशक में चकराता में सैन्य छावनी बनाने पर काम शुरू कर दिया था। इसके लिए सहानपुर से चकराता तक सड़क निर्माण किया। इसी रोड पर मौजूदा आसन बैराज के पास एक मंडी विकसित हुई, जिसे रामपुर मंडी कहा जाता था। इस मंडी के खंडहर आज भी बाकी हैं। देहरादून के व्यापारी भी यहां से 38 किमी दून स्थित इस मंडी से ही माल लाने लगे। इसके लिए पहले एक कच्ची सड़क थी, जिसे रामपुर मंडी रोड कहा जाता था। बाद में अंग्रेजों ने वर्ष 1900 में जब देहरादून तक रेल पहुंच गई तो अंग्रेजों ने रामपुर मंडी रोड का डेवलप करने का फैसला किया। दस्तावेजों में इसे चकराता रोड का नाम दिया गया, लेकिन काफी बाद तक इसे रोड को रामपुर मंडी रोड के नाम से ही जाना जाता रहा।

1930 तक बनने लगी दुकानें
1930 तक रामपुर मंडी रोड पर कुछ दुकानें बनने लगी थी। इसी दौरान इस समय के दून के ख्यातिप्राप्त बैंकर्स लाला मनसाराम ने चकराता रोड को एक खूबसूरत शहर के रूप में विकसित करने की योजना बनाई। प्रसिद्ध बैंकर्स होने के नाते उनके पास अच्छी-खासी रकम थी। इसके लिए उन्होंने चकराता रोड के दोनों तरफ की जमीने खरीदनी शुरू की। पहले उन्होंने कोलकाता के राजा टैगोर परिवार से 27 बीघा जमीन खरीदी। उसके बाद अन्य लोगों से भी जमीन खरीदी। लाला मनसाराम के पास अब कुल 58 बीघा जमीन थी।

दिल्ली की तर्ज पर कनॉट प्लेस
लाला मनसाराम ने 1944 में दिल्ली के कनॉट प्लेस की तर्ज पर चकराता रोड पर कनॉट प्लेस का निर्माण करवाया। यह बिल्डिंग कॉमर्शियल परपज से बनवाई गई थी। रोड की दूसरी तरफ हॉलीवुड और अमृत नाम से दो सिनेमाघर और करीब 50 आवासीय भवन बनाये गये। ये सभी निर्माण 1947 में पूरे हो गये। लेकिन उम्मीद के अनुसार न तो दुकानों के लिए किरायेदार मिले और न ही घरों के लिए। मनसाराम एंड संस बैंक का जो पैसा इन निर्माणों में लगा था, उसे लौटाना मुश्किल होने लगा। इसके बाद लाला मनसाराम ने किसी तरह से घाटा कम करने के लिए इन्हें बेचना शुरू कर दिया। इसके बाद तो ये संपत्तियां एक हाथ से दूसरे हाथ में बिकती चली गई। कनॉट प्लेस बनाने के लिए भारतीय इंश्योरेंस से लिया गया लोन चुकता नहीं हुआ तो इंश्योरेंस कंपनी से कनॉट प्लेस की प्लेस की बिल्डिंग 1953 में मात्र 5 लाख 75 हजार रुपये में भारतीय इंश्योरेंस को बेच दी गई। 1960 में भारतीय जीवन बीमा निगम बन जाने के बाद बिल्डिंग एलआईसी को हस्तांतरित हो गई।

सिनेमाघर के नाम बदले
लाला मनसाराम ने बड़ी उम्मीदों के साथ बिजनेस सेंटर और आवासीय कॉलोनियों के साथ ही हॉलीवुड और अमृत नाम से दो सिनेमाघर भी बनवाये थे। लेकिन, घाटा होने के बाद दोनों सिनेमाघर भी बिक गये। नये मालिकों ने इसके नाम बदलकर कैपरी और नटराज कर दिये। नटराज सिनेमा आज भी चल रहा है, जबकि कैपरी बिजनेस सेंटर बन चुका है।

मनसाराम बैंक के बिल्डिंग खंडहर
मनसाराम एंड संस बैंक की बिल्डिंग दून में अब भी मौजूद है। क्लॉक टावर के पास धारा पुलिस चौकी के पास अब बिल्डिंग अब खंडहर है और गिरासू भवन के रूप में चिन्हित है। जन विज्ञान समिति के विजय भट्ट कहते हैं कि इन ऐतिहासिक निर्माणों को अब ढहाने की बात हो रही है, जबकि इन्हें संरक्षित किये जाने की जरूरत है।

Posted By: Inextlive