रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा- मुख्य आरोपी की जेल में हुई मौत
देहरादून (ब्यूरो) जिला कारागार प्रशासन सहारनपुर के अनुसार, केपी को हाइपर टेंशन के चलते यह अटैक आया। इसके बाद उसे सहारनपुर के जिला चिकित्सालय ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जेल प्रशासन यह दावा भी कर रहा है कि केपी अपना मानसिक संतुलन खो चुका था। उसकी उम्र 51 वर्ष थी और वह सहारनपुर में ईदगाह कस्बा रोड का रहने वाला था। उस पर सहारनपुर व देहरादून में विभिन्न धाराओं में तीन मुकदमे दर्ज थे।
कोर्ट में किया था सरेंडर
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में नाम सामने आने के बाद केपी ने गिरफ्तारी के डर से एक पुराने मामले में अपनी जमानत तुड़वाकर सहारनपुर कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। इसके बाद 8 सितंबर को दून पुलिस उसे बी-वारंट पर सहारनपुर जेल से दून लाई थी। तब कोर्ट ने उसकी चार दिन की पुलिस रिमांड मंजूर की थी। इस दौरान पुलिस ने उससे रजिस्ट्री फर्जीवाड़े को लेकर तमाम साक्ष्य एकत्रित किए। विशेषकर देहरादून की जमीनों के रिकॉर्ड जब तक सहारनपुर में रहे, उस अवधि में उनके साथ छेड़छाड़ किस तरह की गई या कितने अभिलेखों में यह फर्जीवाड़ा किया गया है या और कितने लोग इस खेल में शामिल हो सकते हैं, इस तरह के सवालों के जवाब जानने का प्रयास किया गया था। एसआईटी प्रभारी एसपी सर्वेश पंवार ने केपी की मृत्यु की पुष्टि की है। रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में जितने भी प्रकरण सामने आए हैं, उसमें केपी ङ्क्षसह और देहरादून के अधिवक्ता कमल विरमानी का नाम मुख्य आरोपियों में शामिल है। फर्जीवाड़े के तमाम किरदारों और दून जेल में बंद अधिवक्ता कमल विरमानी के बीच की अहम कड़ी केपी को ही बताया जा रहा था। ऐसे में केपी की मौत रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जांच में दून पुलिस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है।