बात करें हमारी यंग जनरेशन की तो वो इस कोशिश में लगी रहती है की पढ़ लिख कर डिग्री हासिल करे और एक अच्छी जॉब मिल जाए उसके बाद तो लाइफ सेट हो जाएगी। लेकिन आज हम जिसके बारे में बात करने जा रहे हंै उन्होंने हाथ में डिग्री होने के बाद भी जॉब नहीं की। उनका मानना था की वो जॉब से हट के कोई स्मार्ट वर्क कर सकते हैं और इसी सोच के साथ वे कुछ अलग करने के सफर पर चल पड़े।

देहरादून (ब्यूरो) हम बात कर रहे हैैं सूरज की, जिन्होंने 2019 में बीटेक कंप्लीट किया तो उस समय उनके पास इतने रिसोर्सेज नहीं थे की वो अपना कोई बिजनेस शुरू कर पाते। लेकिन, उनके मन में कुछ अलग करने की चाहत बरकरार थी। ऐसे में वो बताते हैं कि एक दिन वो किसी प्रोग्राम में चले गए जहां किसानों को ऑर्गेनिक खेती के बारे में बताया जा रहा था, सूरज का भी कहीं न कहीं ऑर्गेनिक फार्मिंग में इंटरेस्ट था। अचानक से वहां एक टॉपिक निकल कर आया और वो था मशरूम कल्टीवेशन। इसके बारे में सुनते ही सूरज को ये ख्याल आया कि यह एक ऐसी कैश क्रॉप है जो आने वाले समय में बड़ा बिजनेस बन सकता है। उन्होंने सोचा कि अगर वे दून में इसकी शुरुआत करते हैैं तो शायद पहाड़ों में ये कारगर साबित हो सकता है। वो बताते हंै कि ये क्योंकि एक बंद कमरे में होने वाली फसल है और गांव में जो जंगली जानवर होते हैं उनसे नुकसान भी नहीं होगा और यही से उन्होंने अपने सफर की शुरुआत की।

डोर टू डोर की मार्केटिंग
सूरज ने जब मशरूम कल्टीवेशन शुरू किया तो उस समय लोगों तक अपनी पहचान बनाने के लिए उन्होंने डोर टू डोर जाकर मशरूम की मार्केटिंग और उनकी सप्लाई शुरू कर दी। लेकिन, इसके बावजूद भी जितना प्रोडक्शन हो रहा था उसके अनुसार डिमांड नहीं हो पा रही थी। तब उन्होंने सोचा कि क्यों न कुछ और किया जाए और ऐसे कर के उन्होंने मशरूम का अचार बनाना शुरू कर दिया। सूरज का कहना है कि ये ऑप्शन उनके लिए एक सेफ जोन भी था। अचार एक ऐसी चीज है जो एक साल तक भी खराब नहीं होता और लोग इसे पसंद भी करते हैैं। गवर्नमेंट के जितने भी प्रोग्राम चलते थे सूरज वहां जाकर स्टॉल लगाकर प्रमोट किया करते थे।

कई तरह के मशरूम अचार
सूरज बताते हैं कि ये काम करते हुए उन्हें 3 साल से ज्यादा हो चुका है। अपनी मेहनत और कुछ अलग करने की सोच के साथ वो आगे बढ़ते जा रहे है। इसी मेहनत के साथ वो आज 1 लाख रुपये प्रति महीना कमा रहे हैैं। सूरज का कहना है कि इस समय वो मशरूम के अचार को ही टारगेट कर रहे हैं क्योंकि मार्केट में इसकी अच्छी डिमांड है। करीब 80 परसेंट रेवेन्यू अचार से ही निकल कर आता है। वे अलग-अलग मशरूम जैसे कि बटन मशरूम और ओयस्टर से अचार बना रहे हैं।

पहाड़ के मशरूम को दूर तक ले जाना है
सूरज का कहना है की वह आगे भी हैंड मेड अचार पर काम करेंगे। साथ ही उनका ये भी प्लान है कि लोग अगर किसी टेस्ट या प्रोडक्ट को मार्केट में पसंद कर रहे हैैं, तो वह उसे चैनेलाइज करें ताकि वो बड़े लेवल और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके। इसके अलावा वह चाहते हैं कि अपने फार्म पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दे पाएं। उनका मानना है कि और मार्केट में जब उनके बनाए हुए प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ेगी तो कहीं ना कहीं उत्तराखंड को भी इसमें फायदा मिलेगा।

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Posted By: Inextlive