कोरोनाकाल का वाकया भला कौन भूल सकता है। श्मशान घाटों में शवों की कतारें लगी हुई थीं। इस दौरान दून के श्मशान घाटों पर कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। इसी बीच दून के लक्खीबाग स्थित श्मशान घाट पर भी कमी को देखते हुए नगर निगम की ओर से इलेक्ट्रिक शव दाह गृह का प्रपोजल पास किया गया। ये इलेक्ट्रिक शव दाह गृह करीब 9 माह पहले दिसंबर 2022 में बनकर तैयार हुआ। लोगों को उम्मीद थी कि शहर के बीचोंबीच स्थित श्मशान घाट लक्खीबाग में अक्सर लोगों को होने वाली दिक्कतों से निजात मिलेगी। लेकिन बात नहीं बन पाई। सच्चाई ये है कि जब से ये इलेक्ट्रिक शव दाह गृह बनकर तैयार हुआ तब से लेकर अब तक इस पर ताला लटका हुआ है।

एक डेड बॉडी का ट्रायल भी रहा नाकाम, 9 महीने से लगा हुआ है ताला

देहरादून, 11 अगस्त (ब्यूरो)।
अब इसको पब्लिक के पैसे को ठिकाना लगाना कहें या फिर प्रोजेक्ट पर ठीक तरीके से होमवर्क न करना। लेकिन, कहते हैं ना, सच्चाई को छिपाया नहीं जा सकता है। जी हां, दून के लक्खीबाग शमशान घाट में कुछ ऐसे ही उदाहरण देखने को मिल रहे हैं। जहां पर लोगों को सुविधाएं देने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए। लेकिन, हकीकत इससे जुदा है। करीब 9 माह से इस पर ताला लटका हुआ है। हाल ऐसा ही इसी स्थान पर देखा जा सकता है। जहां पर शव को ले लाने के लिए लाखों रुपए का वाहन सांसद कोटे से मुहैया कराया गया। वह भी खड़े-खड़े सड़ रहा है।

टेक्निकल प्रॉब्लम बताया कारण
बताया जा रहा है कि जिस वक्त ये शव दाह गृह बनकर तैयार हुआ। उस वक्त इसके टेक्निकल प्वाइंट्स पर ध्यान नहीं दिया गया। यही कारण है कि लक्खीबाग श्मशान घाट को संचालित करने वाली शिवाजी सेवा समिति भी इसका संचालन नहीं कर पा रही है। बताया जा रहा है कि करीब 2 करोड़ की लागत से तैयार इस शव दाह गृह में जब कोई डेड बॉडी पहुंचती है तो शव का दाह संस्कार करने से करीब 24 घंटे पहले इस इलेक्ट्रिक शव दाह गृह को हीटिंग की जरूरत पड़ती है। तब जाकर अंतिम संस्कार हो पाता है। इसके अलावा इसमें शव को मशीन के अंदर ले जाने के लिए ऑटोमेटिक सुविधा भी नहीं है।

9 महीने में 2 दाह संस्कार
इलेक्ट्रिक शव दाह को नगर निगम ने बनाकर तैयार किया। लक्खीबाग समिति ने फिलहाल इस पर ताला लगाया हुआ है। इसको चालू नहीं किया जा सक रहा है। शिवाजी सेवा समिति के अनुसार दिसंबर 2022 से लेकर अब तक करीब 9 महीनों में दो बॉडी का दाह संस्कार किया गया। जिसके अंतिम संस्कार में कई घंटे लग गए। शिवाजी समिति के मंत्री विनोद गोयल ने बताया कि समिति को कैसे पता चल सकेगा कि श्मशान घाट में कोई बॉडी आने वाली है, ताकि वे 24 घंटे पहले ही इलेक्ट्रिक शव दाह गृह को चालू कर सकें। बताया, ये संभव नहीं हो सकता है। उन्होंने उदाहरण भी दिया कि एक बॉडी लक्खीबाग पहुंची। इस मशीन के जरिए पहले तो साढ़े 3 घंटे अंतिम संस्कार में लग गए और उसके बाद भी अंतिम संस्कार पूरा नहीं हो पाया।

इलेक्ट्रिक शव दाह गृह पर एक नजर
-दिसंबर 2022 को बनकर हुआ तैयार।
-करीब 2 करोड़ आई लागत।
-मशीन को गर्म होने में लगते हैं 24 घंटे।
-एक बार हो चुका है ट्रायल।
-डेड बॉडी का नहीं हुआ पूरी तरह अंतिम संस्कार।
-नगर निगम पर शव दाह तैयार कर छोड़ देने के आरोप।


मोक्ष वाहन पर भी उठे सवाल
लक्खीबाग स्थित श्मशान घाट में खड़े लाखों रुपए के मोक्ष वाहन पर भी सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि सांसद निधि से अलॉट इस वाहन का सही सदुपयोग नहींं हो पा रहा है। इस बारे में शिवाजी सेवा समिति का कहना है कि समिति से वाहन को पार्क करने के लिए जगह मांगी गई है, जो मुहैया कराई गई है। वहीं, श्री किशोरी लाल मूर्ति देवी सेवा न्यास के विजय स्नेही बताते हैं कि कुछ लोगों की ओर से इसका दुष्प्रचार किया जा रहा है। जबकि, अब तक मोक्ष वाहन करीब 30 शवों के काम आ चुका है। उनका कहना है कि कई लोग फोन करते हैं, उनसे संपर्क करने पर वे दूसरे एंबुलेंस ले लेने की बात करते हैं।


नगर निगम की ओर से इलेक्ट्रिक शव दाह गृह के लिए पैसा रिलीज हो चुका है। जिसको लक्खीबाग समिति हैंड ओवर नहीं करना चाहती है। हां, ये सच है कि अंतिम संस्कार से पहले शव दाह गृह को हीटिंग में वक्त लग रहा है।
-सुनील उनियाल गामा, मेयर, नगर निगम देहरादून।

समिति की पहले भी इस मसले को लेकर मेयर से बात हो चुकी है। वे चाहते हैं कि दोबारा इस बारे में उनसे बात की जाए तो समिति तैयार है। लेकिन, उसमें काफी तकनीकी दिक्कतें जरूर सामने आ रही हैं। जिस कारण जरूरतमंद इंटरेस्ट नहीं ले रहे हैं।
-विनोद गोयल, मंत्री, शिवाजी सेवा समिति।

Posted By: Inextlive