वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव व वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनावों के वोटिंग परसेंटेज के आंकड़ों पर गौर करें तो विस चुनाव में करीब 2 परसेंट वोटिंग ज्यादा पाई गई है। जानकार इसके पीछे लोकल विकास कार्यों को देखते हुए वोटिंग परसेंट में उछाल होना कारण बताते हैं। दून जिले में विकासनगर ऐसी विधानसभा क्षेत्र है जहां विस के चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा 75।15 परसेंट वोटिंग हुई। जबकि ये विधानसभा क्षेत्र लोकसभा चुनाव में वोटिंग परसेंटेज के लिहाज से दूसरे नंबर पर रहा।

देहरादून (ब्यूरो) दून जिले में 10 विधानसभा सीटें हैं। जहां पर लोकसभा चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक पार्टियों की नजरें टिकी होती हैं। खास बात ये है कि दून जिले की 10 विधानसभा सीटें दो लोकसभा में आती हैं। जिसमें एक टिहरी व दूसरी हरिद्वार में शमिल हैं। जाहिर है कि लोकसभा उम्मीदवार व राजनीतिक पार्टियों की दून के सभी विधानसभा सीटों पर वोटिंग की सेंधमारी का टारगेट होता है। लेकिन, पिछले दोनों चुनावों की बात करें, लोकसभा की तुलना में विधानसभा चुनाव में वोटिंग का परसेंटेज ज्यादा रहा है।

नहीं माने मिसरास के लोग
लोकसभा चुनाव के बीच वोटर्स की नाराजगी से सीईओ ङ्क्षचतित हैं। वोटर्स को मनाने के लिए आयोग के निर्देश पर जिला निर्वाचन कार्यालय की टीम भरसक प्रयास कर रही है। मंडे को बुरांसखंडा के नाराज ग्रामीणों को मनाने के बाद ट्यूजडे को अधिकारियों ने मिसरास पट्टी व इससे जुड़े गांवों के जनप्रतिनिधियों के साथ वार्ता की। हालांकि, ग्रामीण इस बात पर अड़े रहे कि पहले क्षेत्र में 8 किमी की सड़क पर केंद्र सरकार सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान करे। सीडीओ व नोडल अधिकारी स्वीप झरना कमठान की अध्यक्षता में ग्रामीणों के साथ बैठक की गई। जिसमें मिसरास पट्टी समेत सनगांव, ङ्क्षसधवाल गांव, नाही कलां के पंचायत प्रतिनिधियों ने सड़क निर्माण की बात दोहराई। बैठक में पीडब्ल्यूडी व फॉरेस्ट के अधिकारियों ने बताया कि सड़क निर्माण को सैद्धांतिक स्वीकृति की प्रक्रिया केंद्र स्तर पर लंबित है।

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Posted By: Inextlive