खाल के साथ धरा लैपर्ड किलर
देहरादून (ब्यूरो)। एसटीएफ दून के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि पिछले काफी समय ये कुमाऊं रेंज में वन्य जीवों की तस्करी की शिकायतें मिल रही थी। एसटीएफ दून ने वन्य जीव तस्करों पर शिकंजा कसने की लिए एक टीम का गठन किया था। टीम लगातार संदिग्ध लोगों की गतिविधियों पर नजर रख रही थी। थर्सडे को टीम को खबर मिली कि एक वन्य जीव तस्कर लैपर्ड की खाल बेचने की फिराक में है। आरोपी की लोकेशन कुमाईं में बताई गई, टीम ने सक्रियता दिखाते हुए मौके पर पहुंचकर एक आरोपी को दबोच लिया।
फंदे में फंसाकर मार डाला लैपर्ड
पकड़ गये आरोपी ने अपना नाम दीनानाथ, पुत्र लक्ष्मण, निवासी खटीमा, जिला ऊधमसिंह नगर बताया। उसकी उम्र करीब 40 वर्ष है। तलाशी लेने पर आरोपी के पास से लैपर्ड की एक खाल मिली। खाली की लंबाई 7 फीट और चौड़ाई 4 फीट है। यानी यह खाल एक भरे-पूरे जवान लैपर्ड की है। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसने 6 महीने पहले सुरई के जंगल में फंदा लगाया था। जब गुलदार फंदे में फंस गया तो तेज धार वाले हथियार से उसे मार डाला था। अब वह खाल बेचने की फिराक में था।
शेड््यूल कैटेगिरी में है लैपर्ड
लैपर्ड शेड््यूल कैटेगिरी का वन्य जीव है। इसे नुकसान पहुंचाने या इसकी हत्या करने में कड़ी सजा का प्रावधान है। इस कानून को देखते हुए आरोपी दीनानाथ से कड़ी पूछताछ की जा रही है। एसटीएफ यह जानने के प्रयास कर रही है कि आरोपी पहले भी वन्य जीव तस्करी से संलग्न रहा है या नहीं। यह भी जानने का प्रयास के किया जा रहा है कि उनके साथ और कौन लोग इस धंधे में शामिल हैं।
राज्य में लैपर्ड की खाल की किस स्तर पर तस्करी हो रही है, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष देहरादून एसटीएफ ने दर्जनभर लोगों को वन्य जीव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। इनसे लैपर्ड की 8 खाल बरामद की गई थी। बताया जाता है कि लैपर्ड की खाल मंहगे दाम पर बिक जाती है। इन्हें कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है। खूबसूरत वन्य जीव होने के कारण ज्यादातर इसकी खाल का इस्तेमाल सजावट के लिए किया जाता है।