चमोली जिले में महिलाओं से घास छीनने का मामला पूरे प्रदेश में फैल गया है। इस मसले से अब भूकानून और ट्री प्रोटेक्शन एक्ट में संशोधन जैसे मामले भी जुड़ गये हैं। पूरे राज्य के साथ ही मंडे को देहरादून में भी इस मसले को लेकर दर्जनभर संगठनों में डीएम ऑफिस पर प्रदर्शन किया और सीएम के नाम ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में हेलंग के मसले के साथ ही हिमाचल प्रदेश जैसा भूकानून बनाने और पेड़ काटने की खुली छूट न देने की मांग की गई है।

देहरादून ब्यूरो। देहरादून में प्रदर्शन भूकानून संयुक्त संघर्ष मोर्चा और हेलंग एकजुटता मंच के बैनर तले प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में उत्तराखंड महिला मंच, भारत ज्ञान विज्ञान समित, उत्तराखंड किसान सभा, सिटीजन फॉर ग्रीन दून, जन संवाद समिति, विकल्प सामाजिक संगठन, चेतना आंदोलन, जन हस्तक्षेप, युवा शक्ति संगठन, एनएपीएसआर, स्वराज अभियान, नेताजी संघर्ष समिति सहित दर्जनभर संगठनों के लोगों ने हिस्सा लिया।

ट्री प्रोटेक्शन एक्ट पर चर्चा
आंदोलनकारी पहले शहीद स्थल पर एकत्रित हुए। यहां वृक्ष संरक्षण अधिनियम में संशोधन के सरकार के प्रस्ताव को लेकर बातचीत की गई। पर्यावरणविद् प्रो। रवि चोपड़ा ने इस मौके उत्तराखंड वृक्ष संरक्षण अधिनियम का मसौदा पेश किया और फैसला किया गया कि यह मसौदा सरकार को सौंपा जाएगा। इस मसौदे में प्राइवेट लैंड पर तीन पेड़ तक काटने की प्रक्रिया सरल करने की बात कही गई है। लेकिन, किसी भी प्रजाति के असीमित पेड़ काटने की छूट देने की सरकार की मंशा को खारिज किया गया है।

डीएम ऑफिस पर प्रदर्शन
इसके बाद आंदोलनकारी जनगीत गाते और नारेबाजी करते हुए कचहरी परिसर से होकर डीएम ऑफिस पहुंचे और जोरदार नारेबाजी की गई। प्रदर्शनकारिंयों ने हेलंग में महिलाओं के साथ दुव्र्यवहार करने और चमोली के डीएम को वापस भेजने के नारे लगाये। उत्तराखंड महिला मंच की अध्यक्ष कमला पंत ने महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई लगातार आगे बढ़ाने का संकल्प दिलाया।

7 सूत्रीय मांग पत्र दिया
सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से सीएम के नाम एक ज्ञापन भी भेजा गया। 7 सूत्रीय मांगों वाले इस ज्ञापन में चमोली के डीएम को हटाने, हेलंग गुपचुप तरीके से जमीन टीएचडीसी को देने का षडयंत्र करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने, 15 जुलाई की घटना में शामिल पुलिस और सीआईएसएफ कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने, मलबा नदी के फेंकने के लिए टीएचडीसी पर मुकदमा करने और महिलाओं के साथ दुव्र्यवहार की घटना की न्यायिक जांच करवाने के साथ ही हिमाचल प्रदेश जैसा भूकानून लागू करने और पेड़ काटने की खुली छूट न दिये जाने की मांग की गई है।

Posted By: Inextlive