जोगीवाला चौक पर रोड चौड़ीकरण का मामला गहराता जा रहा है. बगैर मुआवजे के दुकानें तोडऩे के सरकार के फैसले के विरोध में व्यापारी लामबंद हो गए हैं.

- व्यापारियों ने लगाया सरकार पर उत्पीडऩ का आरोप
- बोले, अधिकारी तीन-तीन नक्शे लेकर घूम रहे, कौन सा मानें सही

देहरादून (ब्यूरो): व्यापारियों ने दुकानें हटाने से पूर्व प्रभावित व्यापारियों को मुआवजे के साथ ही दूसरी जगह पर विस्थापित करने की मांग की है, ताकि उनका रोजगार प्रभावित न हो। थर्सडे को भी प्रभावित व्यापारियों ने बैठक कर फैसला लिया है कि यदि सरकार उनकी समस्या को नहीं सुनती है तो उनके पास हाईकोर्ट जाने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं बचा है।

मुफ्त में रोजी-रोटी नहीं छीनने देंगे
व्यापारियों का कहना है कि वह सड़क चौड़ीकरण का विरोध नहीं कर रहे हैं। वह भी चाहते हैं कि सड़क चौड़ी हो, लेकिन सड़क चौड़ी व्यापारियों की रोजी-रोटी छीनकर न की जाए। उन्होंने गुहार लगाई है कि सरकार उनकी समस्या का निस्तारण कर ही आगे कदम उठाए। व्यापारियों का कहना है कि पीडब्ल्यूडी एनएच के कर्मचारी ऐसी मुनादी पीट रहे हैं कि मानों दुकानदार कोई क्रिमिनल हों। उनका कहना है कि व्यापारियों के पास जमीन की रजिस्ट्रियां हैं। सरकार को फोकट में जमीन नहीं देंगे।

2012 में भी तोड़ी गई थी दुकानें
जोगीवाला के व्यापारियों का कहना है कि 2012 में भी दुकानों को तोड़ा गया, लेकिन उन्हें आज तक मुआवजा नहीं मिला। अब फिर सड़क चौड़ीकरण के नाम पर उन्हें पूरी तरह से बेदखल किया जा रहा है। कई बार सरकार को इस बारे में बताया, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।

सरकार के पास तीन अलग-अलग नक्शे
प्रभावित व्यापारियों का कहना है कि जब पूर्व में अतिक्रमण हटाया गया है, तो अब फिर निशान क्यों लगाए जा रहे हैं। व्यापारियों का आरोप है कि सरकार के पास तीन अलग-अलग नक्शे हैं। व्यापारियों को गुमराह करके जमीन को अतिक्रमण की बताई जा रही है। कहा कि पहले सरकार यह तय करे कि कौन सा नक्शा सही है। तीन-तीन नक्शों पर कार्रवाई पूरी तरह गलत और न्यायोचित है, इसे कोर्ट में चैलेंज किया जाएगा।

15 साल से नहीं हुआ डेवलपमेंट
दुकानदारों का कहना है कि जोगीवाला का बाजार सैकड़ों साल पुराना है। 2012 में अतिक्रमण के नाम दुकानें तोड़ी गई। यह प्रक्रिया इससे कई साल पहले से चल रही थी। पिछले 15 साल से जोगीवाला का कोई विकास नहीं हुआ है। कई व्यापारी कुर्सी तक नहीं खरीद, तो ढंग से दुकान में पेंट तक नहीं करा पाए। इस डर से कि न जाने कब सरकार दुकानों को तोडऩे का फरमान जारी कर दे। वही नौबत आज आन पड़ी है।

कोविड से पहले टूट रखी है कमर
दुकानदारों का कहना है कि कोविड पहले ही ढाई साल से व्यवसाय की कमर तोड़ चुका है। सारा व्यवसाय पहले से चौपट है। जो कुछ बचा हुआ है उसे भी सरकार ठप करने पर आमादा है। व्यापारियों ने एक स्वर में सरकार से मांग की है कि यदि सड़क चौड़ीकरण के लिए जमीन ली जा रही है तो 50-60 साल से दुकानदारी कर परिवार चला रहे व्यापारियों को सड़क पर लाकर न छोड़े।

जोगीवाला चौक का चौड़ीकरण जरूरी है, लेकिन व्यापारियों का गला काटकर नहीं। सरकार व्यापारियों को उचित मुआवजा दे, ताकि वह दूसरी जगह पर व्यवसाय शुरू कर सके।
महेश यादव, व्यापारी नेता

मैं पिछले 60 साल से मिठाई की दुकान चला रहा हूं। ये दुकानें अंग्रेजों के जमाने की बनी हैं। तब यहां से चलने का पैदल रास्ता था। सरकार विस्थापित करने के बाद ही दुकानों को तोडऩे का फैसला ले।
माल चंद पंवार, स्थानीय व्यापारी

हमने 2012 में खुद ही दुकानें तोड़ी। फिर भी व्यापारियों से भेदभाव। चकराता रोड, धर्मपुर, मोहकमपुर, आईएसबीटी की तरह जोगीवाला के व्यापारियों को मुआवजा देकर विस्थापित किया जाए।
सौरभ कौशल, स्थानीय व्यापारी

सरकार ने जोगीवाला चौक को अतिक्रमण की श्रेणी में डाला हुआ है, जिससे बैंक भी लोन नहीं देते। क्या लंबे समय से जोगीवाला का सर्किल रेट इसलिए नहीं बढ़ाया कि व्यापारियों को ज्यादा मुआवजा न देना पड़े।
मीनू, स्थानीय व्यापारी

तीन-तीन नक्शे की बात गलत है। राजस्व विभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए नक्शे के आधार पर ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है। 21 जनवरी को वैध कागजों के साथ पीडब्ल्यूडी एनएच कार्यालय में कोई भी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।
प्रवीन कुमार, ईई, पीडब्ल्यूडी, एनएच खंड, डोईवाला

Posted By: Inextlive