अंधेरे में तीर चला रहा जल संस्थान
- शहर की 50 फीसदी से अधिक पेयजल लाइनें पुरानी
- लाइनों का कोई मैप नहीं, फोरमैन और हेल्पर के सहारे जल संस्थान
पेयजल लाइनों को नहीं मैप
शहर में वाटर डिस्ट्रीब्यूशन की जिम्मेदारी जिस विभाग की है उसके पास उससे संबंधित कोई रिकॉर्ड नहीं है, शहर में कुल कितनी किलोमीटर पेयजल लाइने हैं। किस गली में कितनी इंच की लाइनें बिछी हैं। इसका कोई रिकॉर्ड संस्थान के पास नहीं है। खोदाई करने के बाद पता चलता है कि यहां से फलां इंच की लाइन गुजर रही है।
कई जगहों पर मेन लाइन से ही कनेक्शन
पेयजल लाइनों का मैप उपलब्ध न होने पर जल संस्थान के कर्मचारी और ठेकेदार जगह-जगह सड़क खोदकर पेयजल कनेक्शन दे रहे हैं। कई बार खोदाई में पता चलता है कि यहां से मेन लाइन गुजर रही है और यहां से 6 इंची और 8 इंची की लाइनें गुजर रही है। जानकारी के अभाव में कई जगहों पर पेयजल की मेन लाइनो से ही कनेक्शन जोड़ दिए जा रहे हैं। जबकि मेन लाइन से कनेक्शन जोडऩे का प्रावधान नहीं है।
शहर में अधिकांश पेयजल लाइनें बदल दी गई है और कई बदली जा रही हैं, लेकिन कई जगहों पर 1980 से पहले पेयजल लाइनें बिछाई गई है। जो आज जीण-शीर्ण हालत में हैं। शहर की करीब पचास फीसदी पेयजल लाइनें पुरानी है, जिनके बारे में जल संस्थान के पास कोई मैप नहीं है। पुरानी लाइनें से ही ज्यादतर जगहों पर लीकेज की समस्याएं हैं। अंडर ग्राउंड लाइनिंग को लेकर जल संस्थान के पास सटीक मैप न होने से लगातार जगह-जगह सड़कें खोदी जा रही है। जल संस्थान के पास कई पेयजल योजनाएं 50 साल पुरानी है, जिनका विभाग के पास मैप उपलब्ध नहीं है। फोरमैन और हेल्पर को लाइनों की सभी जानकारियां हैं। नए मास्टर प्लान में एडीबी शहर की पेयजल लाइनों की मैपिंग कर रहा है।
वीसी रमोला, एसई, जल संस्थान, देहरादून
पेयजल निगम जो पेयजल नेटवर्क बिछा रहा है उसकी पूरी मैपिंग है। स्कीम हैंडओवर करने के दौरान डिजाइन और ड्राईंग समेत पूरा मैप जल संस्थान के सुपुर्द कर दी जाती है।
दीपक नौटियाल, ईई, सेंट्रल डिवीजन, पेयजल निगम, देहरादून
संजय तिवारी, पीएम, यूयूएसडीए (एडीबी), देहरादून
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