दून हॉस्पिटल की ओपीडी में दो साल के प्रयास के बाद एमआरआई मशीन तो लगी लेकिन पेशेंट को जांच रिपोर्ट के लिए दिल्ली से रिपोर्ट आने का इंतजार करना पड़ रहा। रिपोर्ट देरी से मिलने के कारण लोगों को बार-बार फोन या चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ रहा हंै। यही हाल स्वास्थ्य विभाग की अन्य जांचों का भी है। सुविधा होने के बाद भी पेशेंट को उपचार नहीं मिल पाता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार लोगों को जल्द से इलाज मिले इसके लिए लगातार प्रयास किया जा रहा।

देहरादून, ब्यूरो :
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की एमआरआई मशीन फरवरी 2020 को खराब होने के कारण संचालित नहीं हो पाई। यही नहीं मशीन का वारंटी पीरियड खत्म होने के कारण इसे ठीक कराने में लाखों रुपये का खर्च आ रहा था। इसे देखते हुए दून मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से दूसरी मशीन का ऑर्डर दिया गया। ऑर्डर से लेकर इसकी प्रोसेसिंग में करीब दो साल से ज्यादा का समय लग गया। लम्बे प्रयास के बाद अप्रैल के अंत में एमआरआई मशीन का संचालन शुरू हो सका।

केवल 3500 रुपये में एमआरआई
दून हॉस्पिटल में लगी एमआरआई मशीन में होने वाली हर तरह की जांच का कुल खर्च केवल 3500 रुपये है। जबकि, जबकि प्राइवेट हॉस्पिटल में इसकी जांच कराने पर 8 हजार से 10 हजार रुपये तक चुकाने पड़ते हैं। लेकिन, दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में रिपोर्ट को दिल्ली से ऑनलाइन मंगाना पड़ता है।

यह है एमसीआई के मानक
जानकारों के अनुसार एमसीआई के मानक में जहां जांच होती है वहीं से रिपोर्ट देनी जरूरी है। इसके लिए आवश्यक स्टाफ का होना जरूरी है। लेकिन, लेकिन दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में एमआरआई की जांच की सुविधा होने के बाद भी जांच रिपोर्ट दूसरी जगह से मंगाई जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एमआरआई रिपोर्ट बाहर से देने के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने दून हॉस्पिटल मैनेजमेंट को तलब भी किया था।

टेक्निकल स्टाफ की कमी
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल प्रबंधन के अनुसार हॉस्पिटल में टेक्निकल स्टाफ की कमी के कारण लोगों को रिपोर्ट बनाने की परेशानी हो रही है। टेक्निकल स्टाफ न होने से एमआरआई की रिपोर्ट निकालना मुश्किल हो रहा है। यहीं नहीं जांच रिपोर्ट निकालने के लिए स्टाफ को ट्रेनिंग भी नहीं दी जा सकी।

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हॉस्पिटल में स्टाफ की शॉर्टेज के कारण यह दिक्कत उठानी पड़ रही है। जिसके कारण रिपोर्ट निकालने के लिए ट्रेनिंग भी नहीं दी जा सकी है। ऐसे में फिलहाल कंपनी की मदद से डायरेक्ट रिपोर्ट मंगाई जा रही है।
डॉ। आशुतोष सयाना, प्रिंसिपल, दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल

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रेडियोलॉजिस्ट की कमी
स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार दून समेत जिले में 152 अल्ट्रासाउंड केन्द्र हैं। जिनमें से 106 केवल देहरादून में मौजूद है। जिनमें से सरकारी 21 तो 85 अल्ट्रासाउंड केन्द्र 85 है। इसके साथ ही मशीनों की संख्या 305 है। लेकिन, रेडियोलॉजिस्ट न होने के कारण पेशेंट को सही समय से जांच की सुविधा नहीं मिल पा रही है। जिसके कारण उन्हें अल्ट्रासाउंड के लिए लंबी-लंबी डेट देना हॉस्पिटल प्रबंधन की जिम्मेदारी हो गई है।

दून में यह भी है सुविधा
सीटी स्कैन- 27
पेट स्कैन- 1
एमआरआई- 15
ईको- 23

एक साल में नहीं मिला रेडियोलॉजिस्ट
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में हाईटेक अल्ट्रासाउंड मशीन तो लगा दी गई। लेकिन, अब तक रेडियोलॉजिस्ट की सुविधा विभाग नहीं कर पाया। बीते एक साल से उधार पर जांच की जा रही है। पहले रायपुर से रेडियोलॉजिस्ट को बुलाकर जांच की जा रही थी। अब मसूरी से डॉक्टर को बुलाकर जांच कराई जा रही है। वह भी हफ्ते में केवल एक ही दिन। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मानदेय सही न मिलने के कारण कोई भी नई नियुक्ति नहीं हो पा रही है।

Posted By: Inextlive