सर्दी गर्मी बरसात मौसम कोई भी हो लेकिन गर्मागर्म चाय का हर कोई दीवाना है। सुबह आंख खुलने के बाद सबसे पहले जिसका ख्याल आता है वह बेड-टी ही है। खाने से पहले चाय और खाने के बाद भी चाय। सुबह का नाश्ता तो चाय के साथ ही होता है। पकौड़ी का स्वाद तो चाय के बिना अधूरा है। ट्रेन की थकान को रेलवे स्टेशनों पर चाय विक्रेता की खनकती आवाज ही दूर कर देती है। शहर की खास दुकानों टपरियों और स्थानों पर मिलने वाली अलग-अलग स्वाद की चाय की चाहत में लोग दूर-दूर तक चले जाते हैं।

देहरादून (ब्यूरो) जीवन का हिस्सा बन चुकी चाय ने बदलते वक्त के साथ ही अपना अंदाज, स्थान, स्वाद और कीमत सब बदल दी है। अब कोई काली चाय पीता है तो कोई दूध वाली। किसी को हर्बल टी पसंद है तो किसी तो ग्रीन टी। कोई कुल्हड़ वाली चाय पीने का शौकीन है तो कोई तंदूरी। अब तो फ्लेवर्ड टी की ऐसी शुरुआत हो गई है, जो पान से लेकर मसाला तक अलग-अलग स्वादों में उपलब्ध है। देश में शुगर फ्री चाय पीने वालों की संख्या तो तेजी से बढ़ती जा रही है।

चाय की कई वैरायटी
ग्रीन टी
मसाला टी
ब्लैक टी
हर्बल टी
व्हाइट टी
शुगर फ्री टी
पेपरमेंट टी
येलो टी

बीटेक, एमटेक बेच रहे चाय
देश में चाय बेचने के लिए बीटेक, एमटेक समेत हर छोटा बड़ा आदमी दुकानदार बन गया। अब तो स्कूल कालेजों के बाहर भी चाय के ठेले और टपरियां लगने लगी हैं। शहर में अगर देखा जाए तो एक हजार से ज्यादा दुकानों, ठेलों और टपरियों पर चाय की बिक्री होती है। छोटे-मोटे काम से अब चाय बिजनेस आइडिया बन गया है। शहर में रामू चाय वाला, राजू चाय वाला की जगह अब बीटेक चाय वाला, चाय सुट्टा बार, चरसी चाय, यूपीएससी चाय वाला, चाय और चर्चा जैसे नामों ने ले ली है।

युवाओं की पसंद, चाय सुट्टïा बार
चाय की चुस्की को युवा वर्ग से जोडऩे के लिए शहर के एमडीडीए कॉम्प्लेक्स में बने चाय सुट्टा बार भी चल रहा है, जहां पर बड़ी संख्या में युवा चाय पीने के लिए जाते हैं। दीवारों पर चाय को लेकर उकेरे गए खास वाक्य लोगों को चाय के स्वाद के साथ समझ आते हैं। शांत माहौल में अपनी सीट पर चाय पीते हुए किताब से पढ़ाई करते हुए युवा मिल जाएंगे। चाय सुट्टा बार के संचालक बीटेक किए हुए हैं। वह कहते हैं कि वर्ष 2021 में इसकी फ्रेंचाइजी लेकर करीब 15 लाख रुपये से शुरुआत की थी। औसतन 3 लाख रुपये प्रति माह का टर्नओवर है। इससे कमाई के साथ ही चार लोगों को रोजगार देने की भी बहुत खुशी होती है।

चाय से रेस्ट्रो तक का सफर
दून में ट्रासजेंडर अदिती ने लोगों से पैसे वसूलने के बजाए अपने बिजनेस की शुरुआत करना बेहतर समझा। इसकी शुरुआत इन्होंने हरिद्वार रोड में चाय का स्टॉल लगाकर की। इन्होंने हर तरह की चाय की वैरायटी अपने पास रखी। जिसके कारण यहां के शॉप से लेकर स्टूडेंट की भी इनकी चाय फेवरेट हो गई। इनकी मसाला चाय पीने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैैं। चाय का स्टॉल अच्छा चला तो इन्होंने उसी में फूड का रेस्ट्रो भी शुरू किया।

मोदी टी स्टॉल पर रहती है भीड़
नेहरू कॉलोनी में मोदी टी स्टॉल के नाम से फेमस टपरी पर स्टूडेंट्स को स्पेशल छूट दी जाती है। एक ठेले से चाय की टपरी शुरू करने वाली अभिषेक पाल के पास जहां कोचिंग इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स चाय पीने पहुंचते हैं तो वहीं यहां ऑफिस में काम करने वाले अभिषेक की मसाला चाय को पंसद करते हैं। इनके पास सादा और मसाला चाय के अलावा कई फ्लेवर्ड चाय भी हैं।

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Posted By: Inextlive