आईएसबीटी में दिव्यांग बालिका के साथ हुए दुष्कर्म के मामले पर बाल आयोग में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में आयोग की अध्यक्षा डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि दुष्कर्म पीडि़ता के मामलों में तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। कहा कि इलाज में देरी से पीडि़ता को मानसिक शोषण का सामना करना पड़ता है जो स्वीकार्य नहीं है।

देहरादून (ब्यूरो) सीएमओ ऑफिस से पहुंची डॉ। दीप्ति सिंह ने बताया कि पीडि़ता की हालत ऐसी थी कि उसकी जांच वहीं पर संभव नहीं थी। इसलिए उसे दून मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। डॉ। साक्षी ने कहा कि उन्होंने पीडि़ता की मेडिकल जांच तुरंत कर दी थी, जिसमें कई प्रमुख डॉक्टर और अधिकारी शामिल हुए। बैठक में डॉ। वीएस चौहान, डॉ। वंदना सेमवाल (एसीएमओ), डॉ। दीप्ति सिंह, डॉ। साक्षी, डॉ। नफीस फातिमा और डॉ। मीनाक्षी सिंह, आयोग के सदस्य विनोद कपरवाण और डॉ। एसके सिंह भी मौजूद रहे।

मदरसों के संचालन पर चर्चा
अवैध रूप से चल रहे मदरसों के मामले पर मेडिकल डिपार्टमेंट से डॉ। वंदना सेमवाल (एसीएमओ) और एजुकेशन डिपार्टमेंट से कमला बड़वाल (उप-निदेशक, प्राथमिक शिक्षा) ने हिस्सा लिया। मेडिकल ऑफिसर ने भरोसा दिलाया कि प्रकरण की रिपोर्ट जल्द ही आयोग को सौंप दी जाएगी। शिक्षा अधिकारी ने जानकारी दी कि 12 मदरसे मिड-डे मील योजना का लाभ ले रहे हैं, जिनमें से 1 मदरसा शिक्षा विभाग से और 11 मदरसे मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त हैं। अध्यक्ष ने उप-निदेशक को निर्देश दिया कि शिक्षा विभाग और मदरसा शिक्षा परिषद मिलकर आरटीई एक्ट के प्रावधानों पर चर्चा करें। साथ ही, उन्होंने कहा कि जिन मदरसों में धार्मिक शिक्षा के अलावा भी पढ़ाई हो रही है, उस पर एजुकेशन डिपार्टमेंट क्या कदम उठा रहा है, इसकी भी रिपोर्ट दी जाए। इसके अलावा, उन्होंने मदरसों से बाहर हो चुके छात्रों की जानकारी भी उपलब्ध कराने का आदेश दिया।

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Posted By: Inextlive