बारिश का पानी जमा होने के कारण डेंगू मलेरिया डायरिया समेत कई सीजनल बीमारियों को देखते हुए सरकार व्यवस्था बनाने का दावा करती है। लेकिन मानसून सीजन में ये दावे खोखले साबित होते हैैं। सरकारी हॉस्पिटल रेफरल सेंटर बन जाते हैैं और लोगों को इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ता है।

देहरादून (ब्यूरो) 2020-21 में कोरोना काल के दौरान प्रेमनगर संयुक्त चिकित्सालय में करीब 32 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू (पिक्कू) वार्ड बनाया गया था। आईसीयू तो तैयार कर दिया लेकिन, स्टाफ नहीं रखा। जरूरत का स्टाफ और आईसीयू में जाने के लिए रैैंप न होने के कारण इसका संचालन ही शुरू नहीं हो पाया। आलम ये है कि हॉस्पिटल में इन्फ्रास्ट्रक्चर होने के बाद भी आस-पास के लोगों को दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल और श्री मंहत इन्दरेश हॉस्पिटल के भरोसे रहना पड़ता है। यह हॉस्पिटल स्थानीय लोगों के लिए एकमात्र ऐसा सरकारी हॉस्पिटल है, जहां इमरजेंसी से लेकर गर्भवर्ती महिलाओं के इलाज के लिए पेशेंट पहुंचते हैैं। मानसून में डेंगू व सीजनल बीमारियों के दौरान यह पेशेंट्स का भार बढ़ जाता है, ऐसे में अव्यवस्था होने के कारण लोग सिटी की तरह दूसरे हॉस्पिटल तलाशते हैैं।

हॉस्पिटल में ये खामियां
- हॉस्पिटल में अल्ट्रांसाउट के लिए केवल एक रेडियोलॉजिस्ट।
- रेडियोलॉजिस्ट के पास सीएमएस का भी चार्ज।
- हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक आईसीयू तो बना दिया लेकिन, स्टाफ नहीं।
- अब भी मैन्युअल तरीके से बनती है पर्ची।
- रजिस्ट्रेशन काउंटर में नहीं कोई चेयर की व्यवस्था।
- आवश्यकता के अनुरूप नहीं है स्टाफ।

दर्जनों इलाकों का सहारा
सिटी के दून हॉस्पिटल और कोरोनेशन हॉस्पिटल के साथ ही प्रेमनगर, मिट्टी बेड़ी, निम्बुवाला, ठाकुरपुर, बड़ोवाला, नया गांव, पंडितवाड़ी, उमेदपुर, बनियावाला, मेंहूवाला, चाय बागान, श्यामपुर अम्बीवाला, देवीपुर, कारबारी, पेलियो, नंदा की चौकी, गोरखपुर स्मिथनगर, मोहनपुर, पित्थुवाला, सुद्धोवाला, झाझरा, मांडूवाला समेत बॉर्डर एरिया से जुड़े गांव समेत सैकड़ों की संख्या में लोग गांव से पहुंचते हैं। समय के साथ यहां का दायरा बढ़ा लेकिन, सुविधाओं को बढ़ाया नहीं जा सका।


हमारे पास इन्फ्रास्ट्रक्चर भरपूर है। जब जरूरत होगी हम बेड तैयार कर लेंगे। हालांकि, कुछ इन्फ्रास्ट्रक्चर कोरोना काल के दौरान तैयार किया गया था। लेकिन, शुुरुआत नहीं हो पाई है। इसके साथ ही रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन की व्यवस्था के प्रयास किए जा रहे हैं।
-डॉ। शिव मोहन, सीएमएस, प्रेमनगर हॉस्पिटल

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Posted By: Inextlive