उत्तराखंड में बिजली महंगी हो सकती है. सरकार ने 2008 में जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए उत्तराखंड जल विद्युत निगम को पावर डेवलपमेंट फंड के रूप में जो 341.39 करोड़ दिए थे उसे 14 परसेंट ब्याज की दर से रिर्टन ऑफ इक्विटी आरओई के रूप में लौटाना पड़ सकता है.


देहरादून, (ब्यूरो): उत्तराखंड में बिजली महंगी हो सकती है। सरकार ने 2008 में जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए उत्तराखंड जल विद्युत निगम को पावर डेवलपमेंट फंड के रूप में जो 341.39 करोड़ दिए थे उसे 14 परसेंट ब्याज की दर से रिर्टन ऑफ इक्विटी (आरओई) के रूप में लौटाना पड़ सकता है। इसको लेकर विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण (एपीटीईएल) ने यूजेवीएनएल के पक्ष में फैसला भी सुनाया है। इस फैसले को लेकर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग में जनसुनवाई रखी गई थी, जिसमें स्टेक होल्डर्स ने भारी विरोध जताते हुए इसे टैरिफ में न जोडऩे की मांग की है। बताया कि यह निर्णय लागू किए जाने पर विद्युत टैरिफ में 30 से 35 पैसे तक की वृद्धि हो सकती है।इक्विटी पर रिटर्न ठहराया गलत


ऊर्जा के तीनों निगमों ने उपभोक्ताओं के समक्ष अपना पक्ष रखा। इस दौरान उपभोक्ताओं ने पूंजी निवेश के रिटर्न के नाम पर उपभोक्ताओं के टैरिफ में वृद्धि करने को गलत बताते हुए कड़ा विरोध किया। यूजेवीएनएल के अधिकारियों ने बताया कि 304 मेगावाट मनेरी भाली-द्वितीय परियोजना मार्च-2008 में उत्तरकाशी जिले में शुरू की गई थी। परियोजना की कुल लागत 1958.13 करोड़ थी, जिसमें इक्विटी के रूप में 341.39 करोड़ की इक्विटी राज्य सरकार की ओर से निवेशित की गई थी। जिस पर यूजेवीएनएल ने निवेशित इक्विटी पर रिटर्न देने का अनुरोध किया गया था। यूजेवीएनएल ने टैरिफ वृद्धि की रखी मांग बाद में यूजेवीएनएल ने विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण (एप्टेल) नई दिल्ली के समक्ष अपील दायर की। बीते 19 जुलाई 2024 के आदेश के तहत न्यायाधिकरण ने नियामक आयोग के निर्णय को पलटते हुए यूजेवीएन को रिटर्न आन इक्विटी देने का आदेश दिया। जिस पर अब उपभोक्ताओं ने आपत्ति दर्ज कराई है। जनसुनवाई में यूजेवीएनएल ने आयोग से अनुरोध किया कि उन्हें न्यायाधिकरण के निर्णय अनुसार रिटर्न प्रदान करने के लिए टैरिफ में वृद्धि की जाए। कंज्यूमर्स को भी मिले रिटर्न

उत्तराखंड स्टील मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन कुमार अग्रवाल ने कहा कि राज्य में विद्युत अधिनियमों का दुरुपयोग किया जा रहा है। केंद्र की ओर से प्रावधानों को स्पष्ट किए जाने के बावजूद यहां अनावश्यक नियम थोपे जा रहे हैं। उपभोक्ताओं पर रायल्टी, सेस, वाटर टैक्स समेत अन्य मदों में कम से कम एक रुपये प्रति यूनिट भार पहले से ही डाला जा रहा है। बीते 20 वर्ष में यह धनराशि ब्याज समेत 30 हजार करोड़ के करीब होती है। उन्होंने आयोग से मांग की है कि इस धनराशि पर भी रिटर्न दिया जाए और उसमें से ही यूजेवीएनएल को रिटर्न की धनराशि दे दी जाए। उद्योगपति शकील सिद्दिकी ने भी उत्तराखंड में नियमों की आड़ में उपभोक्ताओं के शोषण की बात कही और नियामक आयोग को इस पर ध्यान देने की मांग की। अधिवक्ता आदित्य गुप्ता ने बताया कि एप्टेल के निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। उन्होंने उपभोक्ताओं ने टैरिफ में वृद्धि न करने की मांग की। पूरे प्रकरण पर एक नजर - मामले में एप्टेल ने पलटा यूईआरसी का निर्णय - आयोग ने नहीं दिया 341.39 करोड़ की निवेशित इक्विटी पर रिटर्न ऑफ इक्विटी - यूईआरसी ने यूजेवीएनएल के प्रस्ताव को किया था खारिज - विद्युत न्यायाधिकरण नई दिल्ली ने पलटा यूईआरसी का फैसला - ऊर्जा निगम ने किया लोड कम करने की मांग की- पिटकुल ने भी किया यूजेवीएनएन का समर्थन- इसका असर सीधे उपभोक्ताओं पर पड़ेगा35 पैसे तक बढ़ेंगे टैरिफ

यूजेवीएनएल के निदेशक परियोजना एके ङ्क्षसह ने बताया कि सरकार से प्राप्त इक्विटी पर मिलने वाला रिटर्न की राशि अगले सात वर्षों में जारी की जाती है तो उपभोक्ताओं के टैरिफ में करीब 30-35 पैसे की वृद्धि होने की आशंका है। इस राशि को 300 मेगावाट की लखवाड़ परियोजना, 72 मेगावाट की त्यूणी-प्लासू परियोजना, 120 मेगावाट की सकारी भ्योल परियोजना और पांच नई प्रस्तावित पंप स्टोरेज परियोजनाओं में निवेश करने में मदद मिलेगी।

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Posted By: Inextlive