महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस की ओर से एक मोबाइल एप लॉन्च किया गया है। पिछले दिनों सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस ऐप को लॉन्च किया। इसे उत्तराखंड पुलिस ऐप या गौरा शक्ति ऐप नाम दिया गया है। दून पुलिस इन दिनों सभी थाना क्षेत्रों में महिलाओं और छात्राओं के बीच जाकर इस ऐप के बारे में जानकारी दे रही है। दावा किया जा रहा है कि इस ऐप से महिलाओं किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति में पुलिस को सूचित कर सकेंगी। लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है कि इससे पहले भी कई तरह के ऐप लॉन्च किये गये। महिलाओं की सुरक्षा को लेकिन लेकर कभी पैनिक बटन तो कभी मोबाइल एप की बात कही गई लेकिन ये योजनाएं धरातल पर नजर नहीं आई। हालांकि पुलिस का दावा है कि ये ऐप काफी हेल्पफुल है और सभी महिलाओं को इसे इंस्टॉल करना चाहिए।

देहरादून (ब्यूरो)। उत्तराखंड में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में कार्यरत महिलाओं की सुरक्षा और रजिस्ट्रेशन के लिए यह ऐप लॉन्च किया गया है। इसे अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद महिला सुरक्षा के लिए एक पहल बताया जा रहा है। इस ऐप के माध्यम से कामकाजी महिलाएं खुद पंजीकरण कर सकेंगी। इससेे राज्य सरकार के पास महिलाओं और उनसे संबंधित कंपनियों का डेटा मौजूद रहेगा। महिलाएं ऐप माध्यम से अपने साथ होने वाले अत्याचार और दुव्र्यवहार की शिकायत भी कर सकेंगी। इसमें उपलब्ध टोल फ्री नंबर पर कॉल करके किसी भी समय मदद ले सकती हैं। इसमें नजदीकी पुलिस स्टेशन की लोकेशन और नंबर भी उपलब्ध है। ऐप में पुलिस विभाग के अधिकारियों के नंबर भी उपलब्ध हैं, जहां से महिलाएं सीधे वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क कर सकती हैं।

पेनिक बटन हो गया गायब
यह पहली बार नहीं है कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर इस तरह का प्रयास किया गया हो। इससे पहले पैनिक बटन भी काफी चर्चा में रहा था। दावा किया गया था कि यह बटन महिलाएं लॉकेट की तरह गले में पहन सकेंगी। किसी भी विपरीत परिस्थिति में वे इस बटन को दबाएंगी तो पुलिस को संबंधित महिला के किसी संकट में होने के साथ ही उसकी लोकेशन का भी पता चल जाएगा। कुछ महिलाओं को यह पेनिक बटन उपलब्ध करवाने का भी दावा किया गया था, लेकिन बाद में यह बटन कहीं गायब हो गया।

बस स्टोपेज के पैनिक बटन में नाकाम
स्मार्ट सिटी की ओर से भी महिलाओं और अन्य जरूरतमंदों के लिए पैनिक बटन का प्रावधान किया गया था। दावा किया गया था कि सभी बस स्टोपेज पर यह बटन इंस्टॉल किया जाएगा और किसी विपरीत पस्थिति में महिलाएं और अन्य जरूरतमंद पैनिक बटन का दबाकर पुलिस की मदद हासिल कर सकेंगे। दून में कुछ बस स्टोपेज पर सीसीटीवी कैमरा, डिस्प्ले बोर्ड के साथ ही पैनिक बटन लगाया गया है, लेकिन इसका कनेक्शन कहीं नहीं है।

कई अन्य ऐप भी नाकाम
राज्य में इससे पहले भी सरकारी स्तर पर कई ऐसे मोबाइल ऐप लॉन्च किये गये हैं, जो या तो पूरी तरह नाकाम हुए या इनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। ऐसा ही एक हेलो ऐप भी लॉन्च किया गया था। दावा किया गया था कि यह ऐप पर्यटकों के लिए मददगार साबित होगा। अन्य कई फीचर्स के अलावा इस ऐप के माध्यम से देश और विदेश के टूरिस्ट अपनी भाषा का गढ़वाली और कुमाऊंनी में ट्रांसलेशन कर सकेंगे। ट्रैफिक आई ऐप, देवभूमि मोबाइल ऐप, उत्तराखंड भूकंप अलर्ट ऐप आदि कुछ अन्य ऐप हैं, जो अपने मकसद में सफल नहीं हो पाये या बहुत कम सफल हुए हैं।

Posted By: Inextlive