स्टूडेंट्स के लिए बनने जा रहे हॉस्टल की जगह खंडहर होने से यहां नशेडिय़ों का जमावड़ा लगता है. पास ही कुष्ठ रोगियों का आश्रम व हॉस्पिटल भी है शराब के नशे में लोग अक्सर कुष्ठ रोगियों के साथ झड़प करते हैैं. कई बार इसे लेकर विवाद भी हुआ है.

- चंदरनगर में पिछले 10 साल से बन रहा हॉस्टल
- काम रुका तो नहीं हुआ दोबारा शुरू, स्टूडेंट्स परेशान

देहरादून, (ब्यूरो):
सरकारी विभागों की गैर जिम्मेदारी से जनता की गाढ़ी कमाई कैसे बर्बाद होती है, इसकी एक बानगी है चंदरनगर में प्रस्तावित हेल्थ डिपार्टमेंट का नर्सिंग हॉस्टल और प्रशासनिक भवन। इस हॉस्टल को बनते-बनते 10 साल बीत चुके हैैं। लेकिन ये आज तक बना नहीं। जो स्ट्रक्चर खड़ा किया गया था वह भी अब खंडहर में तब्दील हो गया है। आलम यह है कि 2017 से इस बिल्डिंग का काम रुका पड़ा है, न हेल्थ डिपार्टमेंट इसकी सुध ले रहा है न कार्यदायी संस्था काम करने को तैयार है। खामियाजा भुगत रहे हैैं नर्सिंग स्टूडेंट्स, जिन्हें रहने के लिए किराये के कमरे ढूंढने पड़ रहे हैैं।


एक एकड़ में बनना था स्ट्रक्चर
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक करीब 3 हजार स्टूडेंट्स के लिए चंदरनगर में हॉस्टल बनाने की शुरुआत की गई थी। ये हॉस्टल ब्वॉयज और गल्र्स दोनों के लिए था, इसके साथ ही प्रशासनिक भवन भी बनकर तैयार होना था। करीब एक एकड़ में बिल्डिंग्स का स्ट्रक्चर भी खड़ा कर दिया गया था। लेकिन, इसके बाद 2017 में प्रोजेक्ट का काम रोक दिया गया। तब से यह इसी हाल में पड़ा है। प्रोजेक्ट को दस साल पूरे होने को हैैं, लेकिन हॉस्टल तैयार नहीं हो सका।


कब क्या हुआ
2013 में मिली हॉस्टल निर्माण को मंजूरी.2015 में हॉस्टल का निर्माण शुरू।
2017 में रुक गया काम.3000 स्टूडेंट्स के लिए हॉस्टल.11 करोड़ का था प्रोजेक्ट.4.5 करोड़ दिए गये थे।यूपी निर्माण निगम कर रहा था निर्माण।

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इस बिल्डिंग के निर्माण का काम अधूरा होने के कारण यहां जुआरी, शराबियों का अड्डा बन गया है। देर रात यहां हंगामा होना आम बात है। कई बार यहां विवाद होता है।-: प्रदीप भंडारी


ये बिल्डिंग तैयार होती तो दूसरे शहरों से पढ़ाई के लिए आने वाले स्टूडेंट्स को फायदा होता। उन्हें कैंपस में ही रहने का ठिकाना मिल जाता। लेकिन, अब वे बाहर रहने को मजबूर हैं।:- अमित असवाल

सरकारी सम्पत्ति की बर्बादी किस तरह से तमाम विभाग कर रहे हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण देखना हो तो चन्दरनगर आ सकते हैं। यहां करोड़ों की बर्बादी दिख जाएगी।
सविता राणा

लगातार इस विषय में कार्रवाई के प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ परेशानी के चलते काम नहीं हो पा रहे थे। निर्माण एंजेसी से इस विषय में बात की जा रही है। जल्द से जल्द काम शुरू कराया जाएगा।डॉ। आशुतोष सयाना, प्रिंसिपल दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल

कोरोनेशन में बर्बाद हो रही फ्लू ओपीडी
कोरोनेशन हॉस्पिटल में एक समय फ्लू की जांच करने के लिए कंटेनर में फ्लू ओपीडी का संचालन होता था। इस फ्लू ओपीडी में पब्लिक के लिए केंद्र की ओर से भेजा गया था। जिसे लाखों रुपये खर्च कर रेनोवेट किया गया था। लेकिन, इन दिनों ये भी बंद पड़ी सरकारी धन की बर्बादी बयां कर रही है।
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Posted By: Inextlive