नामी कॉलेजों के स्टूडेंट्स कर रहे ड्रग पैडलिंग
देहरादून (ब्यूरो)। एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह के अनुसार गिरफ्तार किये गये नशा तस्करों के आपराधिक इतिहास की छानबीन की गई तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये। पता चला कि दीपक तिवारी एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से बीटेक का छात्र है, जबकि जेल में महिपाल का साथी अंकित बिष्ट एक नामी कॉलेज से लॉ ग्रेजुएट है। अंकित नशा तस्करी के एक मामले में अल्मोड़ा जेल में बंद है और के सरगना महिपाल का सहायक बना हुआ था। मनीष बिष्ट व संतोष रावत डिप्लोमा होल्डर व एक सरकारी ब्लड बैंक में नौकरी करता है।
17 केस दर्ज हैं ऋषिकेश की संतोष पर
ऋषिकेश क्षेत्र से गिरफ्तार की गई महिला संतोष इस गैंग की सबसे बड़ी अपराधी है। उसके विरुद्ध थाना ऋषिकेश में आबकारी एक्ट, गुंडा एक्ट और एनडीपीएस के 17 मामले दर्ज हैं। इस गैंग के सरगना और अल्मोड़ा जेल में बंद महिपाल उर्फ बड़ा पुत्र स्व। रतिराम, निवासी नई जाटव बस्ती, थाना ऋषिकेष का भी बड़ा आपराधिक इतिहास है। उसके खिलाफ हत्या, गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट, एनडीपीएस एक्ट व आबकारी में 16 मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं। फिलहाल वह हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।
ऐसे करते थे नशा तस्करी
अजय सिंह के अनुसार इस गैंग के सभी सदस्य आपस में फोन से सम्पर्क में रहते थे। लेन-देन डिजिटल माध्यम से करते थे। जेल में बंद महिपाल और अंकित बिष्ट सबसे डिमांड आने पर नशा सप्लायर भूपेन्द्र उर्फ भुप्पी से बात करते थे। कितना सामान किसको कहां भेजना है, इस बारे में बताते थे। साथ ही पेडलर सप्लाई देने का दिन और तरीका तय करते थे। इसके बाद पेडलर भूपेन्द्र से सामान लेकर अजय गुप्ता, संतोष रावत, दीपक तिवारी, भास्कर नेगी और महिला संतोष को दे दिया जाता था। अजय गुप्ता रोडवेज में संविदा का कंडक्टर है और उसकी तलाश की जा रही है। ये लोग नशे की खेप आगे छोटे-छोटे टुकड़ों बेच देते हैं। नशा बेचने के बाद पेडलर्स गुगल पे के माध्यम से पेमेंट मनीष बिष्ट को भेजता था। मनीष बिष्ट सरकारी अस्पताल पौड़ी के ब्लड बैंक में नौकरी करता है। ऋषिकेश की संतोष अपनी पेमेंट महिपाल की परिचित महिला के अकाउंट में डालती थी। मनीष बिष्ट और उक्त महिला यह पेमेंट विभिन्न माध्यमों से भूपेन्द्र को भेज देते थे।