आयोग में सबसे ज्यादा आरटीई की कंप्लेन
देहरादून, ब्यूरो :
उत्तराखंड बाल कल्याण संरक्षण आयोग ने कोरोना के दौरान पेंडिंग पड़े मामलों का भी रिकॉर्ड मंगवा कर सुनवाई की व सभी मामलों का निस्तारण किया। बीते दो सालों में 2020-21 में बाल आयोग में 22 मामले दर्ज हुए। जिनमें पोक्सो व जेजे के मामले शामिल रहे। वहीं 2021 -22 में बाल आयोग ने 35 मामलों का निस्तारण किया। जिसमें सबसे ज्यादा मामले आरटीई व पोक्सो के रहे। जिनका निस्तारण किया गया।
10 जनवरी से 31 अगस्त तक निस्तारित मामले
विषय - मामले
आरटीई - 37
पोक्सो - 20
जेजे - 22
बालश्रम- 05
अन्य - 31
निस्तारित मामले - 115
पुराने मामले भी निस्तारित
वर्ष - निस्तारित
2015-16 - 02
2017-18 -- 03
2018 -19 - 04
2019-20 - 04
2020- 21 - 22
2021-22 - 35
कुल मामले - 72
इन मामलों का निपटारा (2015- 2021 तक)
आरटीई - 13
पोक्सो- 24
जेजे - 18
बालश्रम - 03
अन्य - 14
कुल - 72
2022-23 में सबसे ज्यादा मामले आरटीई के
उत्तराखंड बाल अधिकारी संरक्षण आयोग में सबसे ज्यादा 7 जनवरी से लेकर 30 अगस्त तक कुल 175 शिकायत दर्ज हुई। जिनमें 115 मामलों का निस्तारण कर लिया गया। जिनमें सबसे ज्यादा मामले आरटीई के तहत एडमिशन न करना है। आयोग के अधिकारियों की मानें तो आरटीई के तहत कई पब्लिक स्कूलों की यह शिकायत मिली थी कि वह लॉटरी में नाम आने के बाद भी बच्चों के एडमिशन करने में आनाकानी कर रहे। जिनका शिक्षा विभाग की ओर से दोबारा एडमिशन का प्रोसेज शुरू किया गया। लेकिन, इसका रिजल्ट सकारात्मक नहीं निकल पाया।
आरटीई के तहत एडमिशन न देना सरकार की उदासीनता को दिखाता है। इसके साथ ही कई स्कूलों की मनमानी के कारण कारण कई बच्चों का आरटीई के तहत एडमिशन न हो पाना है। इसके साथ ही आयोग को चाहिए कि वे स्कूलों पर भी निगरानी रखें।
-आरिफ खान, अध्यक्ष, एनएपीएसआर बच्चों के अधिकारों को लेकर बाल आयोग लगातार काम कर रहा है। इस बीच जितनी भी शिकायतें आई, उन सभी मामलों को निस्तारण किया गया। इस बीच कोरोना के पेंडिंग चल रहे मामलों का भी निस्तारण किया गया है।
डॉ। गीता खन्ना, अध्यक्ष बाल संरक्षण आयोग