यूं तो सिटी मेंफाउंटेन गिने-चुने हैं. लेकिन जितने भी है उन सबकी हालत कमोबेश एक जैसी है इनमें से एक नेहरू कॉलोनी स्थित फाउंटेन चौक की हालत किसी से नहीं छिपी है.

- लंबे से बंद पड़ा है नेहरू कॉलोनी का फाउंटेन
- फाउंटेन पौंड भरा पड़ा है कीचड़ से, नहीं ली जा रही सुध

देहरादून (ब्यूरो): इस फाउंटेन चौक पर सालों से फाउंटेन बंद पड़ा है, जिससे फाउंटेन पौंड कीचड़ से भरा पड़ा है। फाउंटेन के साज-सज्जा के लिए दीवार पर फाइबर सीट भी मेंटेनेंस के अभाव में जीण-शीर्ण हालत में है। हैरत की बात यह है कि फाउंटेन से टोंटियां ही गायब है। देखरेख न होने से चोरों की भी पौ बारह है। ये टोंटियां बेहद कीमती बताई जा रही है। इस फाउंटेन पर लाखों रुपये खर्च किए हैं। आखिर अफसर इन फाउंटेनों की सुध कब लेंगे। फाउंटेनों की दुर्दशा से पब्लिक में आक्रोश है।

यहां तो हो गई टोंटियां ही गायब
नेहरू कॉलोनी स्थित फाउंटेन चौक के फाउंटेन की टोंटियां ही गायब हो गई। इसके बाद भी संबंध विभाग ने इसकी सुध नहीं ली। इस तरह तो एक के बाद एक चीजें गायब हो जाएंगी। ये टोंटियां लाखों रुपये की बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि यह फाउंटेन वर्षों से चला ही नहीं है। ऐसे तो हो गया सौंदर्यीकृत।

सौंदर्यीकरण को सजी दीवार जीर्ण-शीर्ण
सिटी की सुंदरता बढ़ाने के लिए फाउंटेंस का निर्माण किया गया। एक-एक फाउंटेन पर 30-30, 40-40 लाख रुपये खर्च किए गए। फाउंटेंस की देखरेख न होने से अंतिम सांसें गिन रहा है। सवाल यह है कि जब फाउंटेंस का मेंटनेंस सही ढंग से करने में विभाग अक्षम था, तो इनका निर्माण क्यों किया गया। यह यक्ष प्रश्न बन गया है।

फाउंटेन पौंड बना कीचड़ का घर
स्थानीय लोगों का कहना है कि नेहरू कालोनी का फाउंटेन पौंड कीचड़ का घर बन गया है। पूरा फाउंटेन कीचड़ से भरा हुआ है। यहां लंबे समय से फाउंटेन पर पानी नहीं चला। इसकी बानगी खुद फाउंटेन पौंड में जमा कीचड़ गवाही दे रहा है। यहां की लाइटिंग भी खराब पड़ी है।

सरकार निर्माण तो जोर-शोर से करती है, लेकिन मेंटेनेंस की कार्ययोजना में बड़ी लापरवाही बरतती है। जब समय पर मेंटेनेंस नहीं किया जा सकता है, तो ऐसे योजनाएं बनाई क्यों जाती है।
राज गुप्ता, फाउंटेन चौक

नेहरू कॉलोनी फाउंटेन चौक की हालत बेहद खराब है। फाउंटेन केवल नाम मात्र का रह गया है। यह कभी चलता नहीं है। अधिकारी लाखों की बरबादी करने में लगे हुए हैं।
नारायण सरकार, नेहरू कॉलोनी

शहर की सुंदरता के लिए बनाए गए फाउंटेन जीर्ण-शीर्ण हालत में है। इन पर न तो एमडीडीए का और न ही सरकार का ध्यान है। जल्द से जल्द मेंटेनेंस कर फाउंटेन का चालू किया जाए
कुसुम शर्मा, शास्त्रीनगर

स्मार्ट सिटी का दम भरने वाले दून में सौंदर्यीकरण के प्रयासों को खुद विभाग ही पलीता लगा रहे हैं। नेहरू कालोनी फाउंटेन इसका उदाहरण है। शोर पीस बने फाउंटेंस की सुध लेकर इन्हें ठीक किया जाए।
अनुराग कुकरेती, सोशल एक्टिविस्ट

फाउंटेन चौकों की साज-सज्जा की कार्ययोजना बनाई गई है। बजट आवंटन न होने से मेंटेनेंस में समय लगा है। फाउंटेंस की मरम्मत का कार्य शुरू कर कर दिया गया है।
एआर जोशी, उद्यान अधिकारी, एमडीडीए
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Posted By: Inextlive