राजधानी की सड़कों पर खुलेआम घूम रहे गौवंश को पकड़े जाने के बाद उन्हें छुड़वाने के लिए आजकल जमकर माननीयों के फोन नगर निगम में घनघना रहे हैं. जाहिर है कि मजबूर हो कर नगर निगम प्रशासन उनके आगे बौना साबित होकर वही कर रहा है जो माननीय कह रहे हैं. ऐसा वाक्या कोई एक नहीं बल्कि आए दिन सामने आ रहे हैं. ऐसे में नगर निगम गौवंश को लेकर खुद को असहाय समझ रहा है. ऐसे में नगर निगम को सड़कों पर घूम रहे गौवंश को काबू में कर पाना मानों मुश्किल हो गया हो. खास बात ये है कि इन माननीयों में पार्षद से लेकर विधायक तक शामिल हैं.

गौवंश के मालिक चालानी कार्रवाई से बचने के लिए माननीयों से निगम में करवा रहे हैं फोन
-गौवंश को लेकर निगम प्रशासन के पास रोजाना पहुंच रही हैं करीब तीन दर्जन शिकायतें

देहरादून, 22 जून (ब्यूरो)।
दरअसल, राजधानी की सड़कों पर हर इलाकों में गौवंश नजर आ रहे हैं। जिनको लेकर नगर निगम को लगातार शिकायतें सामने आती हैं कि इन गौवंश को कांजी हाउस में शिफ्ट किया जाए। लेकिन, इसके एवज में गौवंश को पकडऩे के बाद उनके छुड़वाने के भी फोन आ रहे हैं। ये फोन किसी आम के नहीं, बल्कि माननीयों के हैं। इनमें पार्षदों से लेकर विधायक तक शामिल हैं। हकीकत ये है कि सड़कों पर घूमने वाले गौवंश पर अब टैगिंग की सुविधा है। जिसके बाद इन टैगिंग से उस गौवंश की आसानी से पहचान हो जाता है, जिसने उनकी देखरेख करने के बजाय सड़कों पर छोड़ दिया। गौवंश के सड़कों पर घूमने-फिरने के बाद अक्सर रोड़ एक्सीडेंट का भी खतरा बना रहता है। इसको देखते हुए नगर निगम प्रशासन इनको पकड़कर कांजी हाउस में शिफ्ट करती है।

विधायक व पार्षदों की सिफारिश
नगर निगम की मानें तो दून की सड़कों में घूम रहे गौवंश को जब नगर निगम की टीम पकडऩे पहुंचती है कुछ ही देर में निगम के अधिकारियों को विधायक या स्थानीय नेताओं से सिफारिश पहुंच जाती है। जिसके बाद इन गौवंश को नगर निगम की टीम को बिना चालान के ही छोड़ देना पड़ता है। यही नहीं इसके बाद फिर से इन गौवंश को नगर निगम को सड़कों पर छोडऩे को मजबूर होना पड़ता है। दोबारा शिकायत मिलने पर फिर कोशिश होती है, लेकिन उसके बाद फिर से माननीयों के फोन कॉल्स नगर निगम पहुंच जाते हैं। इस प्रक्रिया को लेकर नगर निगम के अधिकारी खासे परेशान हैं।

एक्सीडेंट का बना रहता है खतरा
यहां तक कि नगर निगम प्रशासन की ओर से राजधानी में गौवंश के पालन के लिए डेयरी संचालकों को भी पहले ही निर्देशित किया जा चुका है। कहा गया है कि वे अपने पशुओं को इधर-उधर न छोड़े। गौशाला या डेरी में ही उनका ख्याल रखें। निगम के अधिकारियों का कहना है कि सड़कों व मुख्य मार्गों में गौवंश के घूमने-फिरने के कारण न केवल जाम भी लग जाता है। बल्कि रोड एक्सीडेंट की भी संभावनाएं बन जाती हैं। ऐसी कुछ शिकायतें भी निगम के पास पहुंच चुकी हैं।

इन इलाकों में नजर आते हैं गौवंश
-रायपुर
-चूनाभट्टा
-डालनवाला
-प्रेमनगर रोड
-आईटीपार्क
-राजेंद्रनगर
-नालापानी
-प्रेमनगर
-राजपुर रोड-जाखन
-हाथीबड़कला
-नगरौंदा
-बालावाला
-हर्रावाला
-बंजारावाला
-चन्द्रबनी
-डोभालवाला

हर रोज 30-32 शिकायतें
निगम के अधिकारियों की मानें तो उनके पास रोजाना गौवंश से जुड़ी 30 से 32 शिकायतें हेल्पलाइन नम्बर व नगर निगम अधिकारियों के पास पहुंच रही हैं। इनमें गौवंश के खुले में घूमने, सड़़कों पर बैठे रहने के प्रमुख हैं। जब इस दौरान निगम की टीम मौके पर पहुंचकर इन्हें पकड़कर ले जाती है। इसी बीच फिर से माननीयों के फोन निगम के अधिकारियों के पास आने लग जाते हैं। ये फोन इसलिए आते हैं, कारण संबंधित व्यक्ति के गौवंश की टैगिंग से पहचान होती है। बदले में निगम प्रशासन उनके खिलाफ करीब कम से कम 5 हजार तक की चालानी कार्रवाई करती है। जिससे बचने के लिए गौवंश के मालिक माननीयों का सहारा लेते हैं।

81 दिन में पौने दो लाख के चालान
गौवंश की शिकायतों का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सड़कों पर छोड़ देने के कारण निगम ने गौवंश के मालिकों के खिलाफ चालानी कार्रवाई की है। ऐसे में करीब 81 दिनों मेंं पौने दो लाख रुपये का चालान किया है। लेकिन, इसके बावजूद गौवंश रखने वाले लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।

वर्जन -
अक्सर लोग गौवंश के खुले में घूमने की शिकायत करते है। लेकिन, इस पर वे ऊपर से सिफारिश करवा देते हैं। जिनकी गाय है वे सड़कों पर न छोड़े भविष्य में गौवंश को खुले में छोडऩे वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। उनसे डबल चालान वसूला जाएगा।सुनील उनियाल गामा, मेयर

Posted By: Inextlive