आजकल पॉपकॉर्न ब्रेन काफी ट्रेंड में चल रहा है खासकर युवा पीढ़ी के बीच जो अपना ज्यादातर टाइम सोशल मीडिया पर बिताते हैं। पॉपकॉर्न ब्रेन एक ऐसी मेंटल कंडीशन है जिसमें आपके माइंड में लगातार नए थॉट्स आते रहते हैं और व्यक्ति किसी एक चीज पर ध्यान नहीं दे पाता जैसे पॉपकॉर्न गर्म तवे पर उछलते हैं वैसे ही हमारे थॉट्स भी इधर-उधर भटकते रहते हैं।

देहरादून (ब्यूरो) सोशल मीडिया पर रील्स और शॉट्र्स ने इस प्रॉब्लम को और बढ़ा दिया है। युवाओं का कहना है की कुछ सेकेंड के वीडियो देखने की आदत ने हमारे फोकस को कमजोर कर दिया है। सोशल मीडिया पर दिखाए जा रहे कंटेंट हमें और भी ज्यादा अट्रैक्ट करते हैं और हम अगर खुद को रोकना भी चाहें तो कई बार वो पॉसिबल नहीं होता है। अगर हम अपने दोस्तों के साथ बात करते है तो वहां भी रील्स और सोशल मीडिया के बारे में ही बात होती है।

रील्स बन गया बात करने का तरीका
अक्सर लोग सोशल मीडिया पर रील्स देखते हैं और वे उनको कई बार फनी और खुद से रिलेटेबल लगता है और जिसे वो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में शेयर करते हैैं, ये एक नया तरीका बन गया है जिसके जरिये लोग आपस में अपने थॉट्स को शेयर करते हैं।

डोपामाइन की भूमिका
डोपामाइन, जिसे हैप्पीनेस हार्मोन भी कहा जाता है, जब भी हम सोशल मीडिया पर समय बिताते हैं, हमारा दिमाग डोपामाइन रिलीज करता है। लगातार डोपामाइन रिलीज होने से हमारा दिमाग खुशी महसूस करने का आदी हो जाता है और हमें और ज्यादा की चाह होती है। यही कारण है कि हम बार-बार सोशल मीडिया पर लौटते हैं।

पॉपकॉर्न ब्रेन के लक्षण
ध्यान भटकना- पॉपकॉर्न ब्रेन के शिकार लोगों का ध्यान किसी भी काम में स्थिर नहीं रह पाता। पढ़ाई, काम, यहां तक कि बातचीत के दौरान भी उनका ध्यान बार-बार भटकता रहता है।
स्ट्रेस और बैचेनी- सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने और दूसरों की जिंदगी से खुद को कम्पेयर करने से माइंड में नेगेटिव थॉट्स आने लगते हैं, जो स्ट्रेस और बैचेनी को बढ़ा सकते हैं।
नींद की कमी-लगातार थॉट्स से भरा हुआ माइंड सही तरीके से आराम नहीं कर पाता, जिससे नींद की कमी हो जाती है। इससे बॉडी और माइंड दोनों पर नेगेटिव असर पड़ता है।
याददाश्त पर असर- पॉपकॉर्न ब्रेन के कारण याददाश्त कमजोर हो जाती है, किसी भी बात पर सही से फोकस नहीं करने की वजह से वह छोटी-छोटी बातें भूलने लगता है।

पॉपकॉर्न ब्रेन से बचने के उपाय
-डिजिटल डिटॉक्स- समय-समय पर सोशल मीडिया से दूरी बनाना बेहद जरूरी है। मोबाइल, लैपटॉप और टीवी से कुछ समय का ब्रेक लेकर खुद को रिलेक्स होने का मौका दें।
-माइंडफुलनेस प्रैक्टिस करें- मेडिटेशन, योगा, या किसी दूसरे एक्टिविटी में इन्वॉल्व होने की वजह से माइंड को शांत रखने और फोकस बढ़ाने में मदद मिलता है।
-सेट टाइम लिमिट्स- सोशल मीडिया पर बिताए जाने वाले समय के लिए एक फिक्स शेड्यूल बनाएं। ज्यादा समय तक एक ही प्लेटफार्म पर रहने से बचें और अपनी लाइफ को बैलेंस करें।
रियल वल्र्ड से कनेक्ट करें- दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना सबसे बेस्ट ऑप्शन है। इससे आप खुद को फ्रेश महसूस करेंगे और जरूरी चीजों पर फोकस कर सकेंगे।

एक्सपट्र्स की राय
एक्सपट्र्स का कहना है कि लगातार सोशल मीडिया या फोन से जुड़ी दूसरी एक्टिविटी में इन्वॉल्व रहते हैं तो इसका असर हमारी फिजिकल हेल्थ के साथ मेंटल हेल्थ पर भी होता है, इससे आपकी याददाश्त भी कमजोर हो सकती है। ह्यूमन ब्रेन को प्रॉपर रेस्ट चाहिए होती ताकि को सही से काम कर सकें।

अगर कोई शख्स अपना ज्यादातर समय फोन पर बिताता है तो जो भी कंटेंट वो देखता है, उसका असर उसके दिमाग पर पड़ता है। जब वो सोता है, तो वही चीजें उसके दिमाग में घूमती रहती हैं, जिससे कई बार उसकी नींद पूरी नहीं हो पाती। इसका सीधा असर उसकी रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ता है और जिन कामों में उसे ध्यान देना चाहिए, उनमें वो ध्यान नहीं लगा पाता। इससे मेंटल हेल्थ पर भी नेगेटिव असर होता है, और छोटी-छोटी बातों पर भी उसे टेंशन होने लगती है।
-डॉ महेश कुडिय़ाल, न्यूरोलॉजिस्ट, सीएमआई

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Posted By: Inextlive