एमडीडीए की वेबसाइट पर अब तक चल रहा हरेला पर्व
- इलीगल प्लॉटिंग के फ्रॉड से बचने के लिए एमडीडीए की वेबसाइट से लें डिटेल जानकारियां
देहरादून (ब्यूरो): छह माह गुजर चुके हैं, लेकिन वेबसाइट पर आवेदन की प्रक्रिया अभी भी जारी है। खास बात यह है कि साइट खोलते ही नोटिफिकेशन में यह एप्लीकेशन आ रही है। क्या विभागीय कर्मचारियों और अधिकारियों को इतनी बड़ा नोटिफिकेशन नहीं दिख रहा है। इससे तो सीधा यह लगता है कि कोई साइट ही नहीं खोलता है।लोगों में बनी है भ्रम की स्थिति
इसे लेकर लोगों में भी भ्रम की स्थिति भी बनी हुई है। आजकल पौधों के रोपण का कोई सीजन नहीं है और एमडीडीए की साइट पर पेड़-पौधों के लिए आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि इस बारे में एमडीडीए के अधिकारियों का कहना है कि एप्लीकेशन को हटाया जा चुका है, लेकिन टेक्नीकल कारणों से अभी यह साइट में शो हो रहा है। हालांकि मांगे जाने पर एमडीडीए लोगों को फ्री में फूल-पौधे आजकल भी उपलब्ध करा रहा है।
आ रहा ये नोटिफिकेशन
एमडीडीए ने जुलाई 2023 में हरेला पर्व के लिए हरित दून वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत विभिन्न क्षेत्रांतर्गत मंत्रीगण, सांसदों, विधायकों, मेयर, पार्षदगणों, मोहल्ला समितियों एवं आमजन को वृक्षारोपण कार्य के लिए विभिन्न प्रजाति के ऑर्नामेंटल फ्लॉवरिंग प्लांट, फलदार व छायादार पौधे फ्री में उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था की। पौधों की मांग के लिए लिंक पर आवेदन मांगे, ये लिंग आज भी कंटीन्यू चल रहा है। किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
इस एप्लीकेशन में एमडीडीए से प्राप्त निशुल्क रोपित पौधों व ट्री गार्ड के साथ सेल्फी अपलोड किए जाने के लिए भी आवेदन में लिंक दिया गया था। यह लिंक भी एप्लीकेशन के सााि साथ-साथ चल रहा है। जमीन फर्जीवाड़े बचने की अपील
एमडीडीए ने जमीन खरीदने को लेकर वेबसाइट पर वीसी एमडीडीए की ओर से आम पब्लिक को अवेयर करने के लिए जनहित में इम्पोरटेंट जानकारियां शेयर की गई हैं। एमडीडीए क्षेत्र के अंतर्गत आवासीय, गैर आवासीय प्रयोजन के लिए जमीन खरीदने से पहले कुछ खास चीजों की जानकारी रख कर जमीन फर्जीवाड़े से बचा जा सकता है। दरअसल दून सिटी में जमीन फर्जीवाड़े के सैकड़ों केस थाना-चौकियोंमें चल रहे हैं। अधिकांश फ्रॉड जानकारी के अभाव में हो रहे हैं।
जमीन खरीदते समय ये करें चेक
1. जमीन खरीदने से पहले एमडीडीए दफ्तर से भूमि के लैंडयूज की जानकारी अवश्य ले लें।
2. इसके लिए खरीदी जाने वाली भूमि या प्लॉट का वास्तुविद
3. ड्राफ्टमैन द्वारा बनाया गया की-प्लान
4. जमीन के गूगल कोऑर्डिनेट्स, गूगल लोकेशन प्राधिकरण दफ्तर में अवश्य उपलब्ध कराना होगा।
5. भूमि बेचने वाले से प्राधिकरण से स्वीकृत ले-आउट की जानकारी ली जाए
6. यह देख लें कि क्या प्लॉट व मकान स्वीकृत ले-आउट मानचित्र का हिस्सा है या नहीं उसका सत्यापन एमडीडीए से अवश्य कराया जाए।
7. प्राधिकरण से बिना स्वीकृति, अनुमति से की जा रही इलीगल प्लॉटिंग पर कभी भी जमीन न खरीदें
8. प्राधिकरण भवन उपविधि के अनुसार इलीगल खरीद पर कार्रवाई करता है।
9. इलीगल प्लॉटिंग के विरुद्ध सील या फिर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के लिए खरीदार उत्तरदायी रहेगा।
10. इलीगल प्लॉटिंगों की भूमि के संबंध में सभी जानकारी एमडीडीए की वेबसाइट-एमडीडीए ऑन लाइन इन क्र पर उपलब्ध है।
इलीगल प्लॉटिंग पर नक्शे पास नहीं
प्राधिकरण की वेबसाइट पर जानकारी दी गई है कि अवैध प्लाटिंग पर भवनों के नक्शे स्वीकृत नहीं किए जाते हैं। जमीन या प्लॉट खरीदेन से पूर्व स्वामित्व संबंधी दस्तावेजों का परीक्षण-सजरे के अनुसार प्लॉट का खसरा नंबर की स्थिति स्पष्ट समझ लें। खरीदी जाने वाली भूमि में किसी प्रकार का कोई वाद-विवाद तो नहीं या फिर जमीन के रकबे में सरकारी भूमि तो सम्मिलित नहीं है इसकी जानकारी राजस्व विभाग से परीक्षण अवश्य कराएं।
प्राधिकरण की वेबसाइट पर जानकारी शेयर की गई है कि हाईकोर्ट के आदेश और भवन उपविधि के अनुसार राजस्व अभिलेखों में दर्ज नदी के क्षेत्र से 30 मीटर की दूरी छोडऩे के बाद ही भूमि खरीदें और नियमानुसार नक्शा स्वीकृत कराने के बाद ही मौके पर निर्माण कार्य शुरू किया जाए। यह बात सही है कि हरेला पर्व के लिए फूल और फलदार पौधों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। इसे बाद में हटा लिया गया था, लेकिन तकनीकी कारणों के चलते ये वेब एप्लीकेशन शो हो रही है। इस संबंध में आईटी सेल को निर्देश दिए गए हैं।
सुधीर कुमार गुप्ता, सहायक अभियंता, एमडीडीए
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